चुनावी नतीजो से पहले एक्जिट पोल की तासीर

*चुनावी नतीजो से पहले एक्जिट पोल की तासीर*

✍️ *जितेंद्र तिवारी*

17वीं लोकसभा के लिए वोट डाले जाने का समय जैसे ही खत्म हुआ सभी टीवी चैनलों की स्क्रीन पर देश के अनुमानित जनादेश के तौर पर एग्जिट पोल के आंकड़े तैरने लगे। हर एक न्यूज चैनल की सर्वे एजेंसियों के मुताबिक देश मे एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। हलाकि अभी वास्तविक आकंड़े आने में दो दिन का वक्त बाकी है। तो ऐसे में एग्जिट पोल के जरिये जो आंकड़े टीवी स्क्रीन पर रेंगते नजर आ रहे है उनमें ज्यादातर सर्वे पूर्ण बहुमत से एनडीए सरकार के पक्ष में है तो कुछ एक्का दुक्का चैनल बहुमत से दूर भी बता रहे है। तो दर्शक अपने मुताबिक उन सर्वे को मान और समझ रहे है जो उनके मुताबिक सत्य के करीब नजर आ रहा है। लेकिन अतीत के पन्नो को पलटे तो कई बार एग्जिट पोल धराशाही भी हुए है। उदाहरण के तौर पर अगर बात करे 2004 के लोकसभा चुनाव की तो तत्कालीन एग्जिट पोल भी अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार को बनता दिखा रहा था। लेकिन वास्तविक परिणाम इसके बिल्कुल उलट आये और देश मे गठबन्धन के तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार बनी। जिसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बनाये गए। हलाकि तत्कालीन अटल बिहारी बाजपेई और मोजूदा नरेंद्र मोदी में फर्क का पैमाना बहुत अलग है। लेकिन कुछ हद तक समानता भी नजर आ रही तब का सियासी मुद्दा सोनिया का विदेशी होने के तौर पर उभारा गया है और अबकी बार भी राहुल गाँधी की नागरिकता के तौर सवाल खड़े किए गए। तब अटल का शाइनिंग इंडिया था अब मोदी का न्यू इंडिया है। तब भी चुनाव से पहले विपक्ष बिखरा हुआ था अबकी बार भी विपक्ष का बिखराव खुले तौर पर सामने आया। हलाकि मोदी मजबूत राजनेता के तौर उभरे जरूर है जिनका सरकार चलाने का अपना मिजाज है। तो तबतक के लिए अपने मुताबिक टीवी चैनलों को पसन्द करे जिनका एग्जिट पोल आपके मुताबिक है और वास्तविक परिणाम का इंतजार करिए जो 23 तारीख को सुबह से ही टीवी स्क्रीनों पर दौड़ेंगे।

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