राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज का होगा सीमा विस्तार कालेज के बगल खाली पड़ी 24 बीघे भूमि पर बनेगा पंचकर्म चिकित्सा केंद्र
राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज का होगा सीमा विस्तार,कालेज के बगल खाली पड़ी 24 बीघे भूमि पर बनेगा पंचकर्म चिकित्सा केंद्र,मवई के मांजनपुर में बन रहा ये कालेज,इस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव
मवई(अयोध्या) ! मवई के मांजनपुर करोड़ों की लागत से बन रहा राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल का अब सीमा विस्तार किया जाएगा।इस कॉलेज के बगल खाली पड़ी 24 बीघे भूमि को इसी में मिलाया जाएगा।जिसमें पंचकर्म चिकित्सा केंद्र के अलावा एक हर्बल गार्डन आडोटोरियम बनाया जाएगा।इसके लिए इस्टीमेट बनाकर एक प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।यदि प्रस्ताव शासन से मंजूर हुआ तो आने वाले समय में इस मेडिकल कालेज में आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ साथ स्नात्कोत्तर (पीजी) स्तर के बच्चे भी यहां आयुर्वेदिक शिक्षा ग्रहण कर सकते है।
बताते चले कि अयोध्या जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित मवई ब्लॉक क्षेत्र में लगभग 49 करोड़ की लागत से राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के निर्माण चल रहा है।जिसमें आयुर्वेदिक चिकित्सालय भवन का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है।अगले माह 1 अगस्त से ओपीडी शुरू करने के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही है।तीन दिन पूर्व निरीक्षण पर आए आयुष मंत्री से जब स्थानीय विधायक ने कालेज के बगल खाली पड़ी 24 बीघे की जमीन को लेकर जानकारी दी।तो इस संबंध में आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु” ने विभागीय अधिकारियों से वार्तालाप करते हुए कहा कि इस आयुर्वेद कालेज को भविष्य में स्नात्कोत्तर स्तर तक विस्तार किया जा सकता है।जिसमें पंच कर्म चिकित्सा केंद्र हर्बल गार्डन व विशाल प्रेक्षागृह आदि बनाए जा सकता है।इसे लेकर रुदौली विधायक रामचंद्र यादव से प्रस्ताव भी मांगा गया है।इस बात की पुष्टि करते हुए कार्यदाई संस्था सीएनडीएस के अवर अभियंता प्रशांत यादव ने बताया कि आयुष मंत्री द्वारा कालेज के बगल खाली पड़ी भूमि पर पंचकर्म चिकित्सा केंद्र आदि के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही थी।इसे शासन भेजा जाएगा।स्वीकृति मिलने पर ये संभव होगा।
क्या है पंचकर्म चिकित्सा विधि
पंचकर्म आयुर्वेद की उत्कृष्ठ चिकित्सा विधि है जिसमें कई विशेष प्रक्रियाएं शामिल होती है।जिन्हें पांच कर्मो के द्वारा मरीज का इलाज किया जाता है।पंचकर्म की पहली क्रिया वमन(उल्टी) दूसरी विरेचन(शुद्धीकरण) तीसरी बस्ती(एनीमा)चौथी नस्य(नाक से दवा लेना) और पंचम व अंतिम रक्त मोक्षण यानि खून निकालना सामिल है।ये उपचार शरीर की गहरी सफाई कायाकल्प व प्राकृतिक संतुलन की बहाली में मदद करते है।पंचकर्म के लिए गंभीर प्रकृति के मरीज को अस्पताल में बीमारी के अनुसार डेढ़ से 3 महीने तक भर्ती रहना पड़ता है।जिनका इलाज पंचकर्म विधि द्वारा किया जाता है।इस विधि से गठिया लकवा उदर सम्बंधी विकार और साइनस व माइग्रेन जैसी गंभीर बिमारियों का इलाज होता है।