विनती सुनलो हे सरकार… घर पहुंचा दो अबकी बार…
![](https://i0.wp.com/www.khabrokichaupal.com/wp-content/uploads/2020/05/img-20200509-wa00072899191860447023723.jpg?fit=640%2C853&ssl=1)
विनती सुनलो हे सरकार…
घर पहुंचा दो अबकी बार…
जितेन्द्र तिवारी
ये कोई चुनावी नारा नही है… ये वोट को पाने के लिए किसी राजनीतिक दल का स्लोगन भी नही है…ये गुहार उन प्रवासी मजदूरों की है जो पैदल अपने घरों के लिए निकले है। किसी के सिर पर बैग तो किसी की गोद में नन्ही जान। आंखों की लालरी धूप की तड़प को बतला रही है और पांवों के छाले उनके बढ़ते कदम को रोकने के लिए बेबस साबित हो रहे है। मंजिल सिर्फ एक ही है घर पहुंचना है और सिर्फ घर पहुँचना। एक रिपोर्टर की रिपोर्ट देखी तो आंख भर आईं। हे प्रभु कैसी मजबूरी में फंसा है देश का मजदूर मीलों की दूरी कदमों से नापने निकल पड़ा। कोई रेलवे ट्रैक पर तो कोई गांव की कच्ची पगडंडियों पर चलता ही जा रहा है वो भी तबतक जबतक उसकी मंजिल उसको न मिल जाए। मंजिल उसका अपना घर है जो मीलों दूर है। मीडिया के कैमरे देखता है तो ठिठक जाता है कहीं ऐसा न हो पुलिस आ जाये। फिर सोचता है शायद कैमरे पर बोलने से ही कोई उनकी आह सुन ले। मदद को निहारती नजरें बोलते बोलते आँसुओ से डबडबा आती और प्यास से सूख रही जुबान से बेबस निकल ही आता है… विनती सुन लो हे सरकार… घर पहुंचा दो अबकी बार… कोरोनो से तो बच भी जाएंगे लेकिन भूख से मर जायेंगे साहब… ये आवाज लुटियन्स की दिल्ली से अमेठी जा रहे मजदूरों की है। वही मजदूर जिन्होंने दिनरात एक कर दिल्ली को बनाया अपने परिवार को पालने के लिए घरबार छोड़ा लेकिन जब संकट आया तो उनके दर्द को समझने वाला कोई नही। ऐसे में अब दिल्ली कौन आएगा साहब… मजबूरी में कोई साथ नही है मजदूरी में तो पैसा मिलता था। वोट के लिए तो ऊंची आवाजों में नारे सुनाई देते थे। रैलियों को ले जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की जाती थी। रैलियों में खाने के पैकट बांटे जाते थे लेकिन अब कोई नही सुनता। अगर सुनता होता तो ये ऐसे कैसे इतने मुश्किल डगर पर चल मजबूर मजदूर चल पड़ते। अमूमन यही कहानी उन हजारो मजदूरों की ही होगी जो काम छूटने व इस महामारी के डर से शहरों से गांव की ओर चल पड़े है। अगर व्यवस्थाएं है तो इनतक क्यों नही पहुंच रही। कमियां कहाँ है टटोलने का वक्त निकलता जा रहा है हुजूर… आखिर दो वक्त रोटी के लिए निकला मजदूर ठोकरे खाने को क्यो मजबूर है?
![](https://i0.wp.com/www.khabrokichaupal.com/wp-content/uploads/2020/11/PicsArt_11-12-05.34.21.png?resize=100%2C100&ssl=1)