July 27, 2024

आस्थाओं एवं चमत्कार से परिपूर्ण हमारे मंदिर और संत महात्माओं पर विशेष

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??सुप्रभात-सम्पादकीय??

साथियों:हमारा देश ऐसे ही देवी देवताओं पीर पैगम्बरों का देश नहीं माना जाता है।हमारी कुछ ऐसी अध्यात्मिक धार्मिक आस्थाएं जिनके सामने दुनिया को नतमस्तक होना पड़ रहा है।हमारी धार्मिक आस्थाओं को अनेकों बार परीक्षण के दौर से गुजरना पड़ चुका है और यह दौर भी जारी है।हमारी अध्यात्मिक धार्मिक आस्थाओं को आधुनिकता के दौर में बहुत कम लोग पहचान व विश्वास करते हैं।एक मुस्लिम बादशाह ने तो ज्वाला देवी की ज्वाला को ही लोहे की मोटी चादर से ढकवा दिया था इसके बावजूद ज्वाला को रोक नहीं सका।लोगों की मान्यता है कि मैहर में महाभारत काल के युद्धिष्ठिर आज भी मैहर देवी की पूजा करने मंदिर में आते हैं। बाराबंकी जिले के किंतूर बदोसराय स्थित महाभारत कालीन पौराणिक  कुंतेश्वर महादेवा  मंदिर में आज भी मान्यता है कि सबसे पहले माता कुंती पूजा अर्चना करने आती हैं किन्तु कोई देख नही पाता है।यहीं कारण है कि आज तक कोई यह पता नहीं लगा सका कि कौन और कब पूजा करने आता है।अभी दो दिन पहले की घटना आजकल चर्चा का विषय बनी हुई है और पुलिस सच्चाई की जांच भी कर रही है।इसकी शिकायत वरिष्ठ पत्रकार महंत बीपीदास ने पुलिस अधीक्षक से दो दिन पहले की है।इस मंदिर में पिछले गुरुवार की रात कुछ लोग आये थे जो अपने को टीवी चैनल का बताकर मंदिर परिसर में रूके थे और मौका पाकर परीक्षण के लिये मंदिर के अंदर सीसी कैमरा लगाकर रात में बाहर से ताला लगवा दिया था। वे लोग रात में मंदिर खुलने और किसी के आने की निगरानी परिसर में ही रह कर रहे थे। सुबह जब मंदिर का ताला खोला गया तो कैमरा नीचे टूटा हुआ पड़ा था और आखिर रिकार्डिंग में प्रकाश दिखाई पड़ रहा है।लखनऊ और फैजाबाद के मध्य आस्था का केन्द्र बने बाबा रामसनेहीदास ने एक समय में जीवित समाधि ली थी और वह संत शिरोमणि थे। आजादी के पहले जब यहाँ पर कल्याणी नदी पर पुल बन रहा था तो बाबा की समाधि के ऊपर से बनाया जा रहा था।जितना पुल दिन में बनता था उतना रात में ढह जाता था।आखिरकार अध्यात्म और आस्था के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और स्वप्न में दिये गये निर्देश को मानकर रोड को मोड़कर तब पुल बनवाना पड़ा।हमारे तमाम मंदिर भगवान के साथ देवी देवताओं संत महात्माओं के अवतरण व जन्मस्थली से जुड़े होने के नाते इनका विशेष महत्व होता है।यह सभी स्थान चमत्कारिक और चमत्कारों से परिपूर्ण हैं।इस घोर कलियुग में इस तरह के परीक्षणों से हमारी आस्था और श्रद्धा बलवती होती है।चमत्कारिक घटनाओं में विष्णु अवतार माने जाने वाले कौमी एकता के प्रतीक संत जगजीवन साहब किसी से पीछे नहीं रहे हैं और उनके जीवनकाल की ऐसीे तमाम चमत्कारिक घटनाएं हैं।इस समय सत्यनाम सम्प्रदाय के प्रर्वतक संत शिरोमणि सतगुरू की तपोस्थली पर आस्था श्रद्धा का सैलाब उमड़ा है।हमारे देश प्रदेश में तमाम संत महात्मा सूफी संत हुये हैं जिन्हें पूरी श्रद्धा आस्था के साथ आज भी माना जाता है।अयोध्या अगर विष्णु अवतार भगवान राम की नगरी है तो मथुरा वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है और काशी बनारस भगवान भोलेनाथ औढरदानी की प्रिय नगरी है।देव नदियों गंगा यमुना सरस्वती का हमारी ही माटी पर संगम हुआ है जो स्वतः प्रमाणित है। इसी तरह सभी नदियों को अपने में समाहित करने वाला गंगासागर आज भी चमत्कारिक बना हुआ है और दिन भर के लिये मेला आने वाले अपने भक्तों के लिये सूख जाता है।हमारी सीमा पर रोजाना घोड़े से गश्त करने वाली हमारे सैनिक अधिकारी की आत्मा आज भी विज्ञान के लिए चुनौती बनी हुयी है।यह पहला अवसर हैे जबकि कुंतेश्वर महादेवा मंदिर में किसी ने सीसी कैमरा लगाकर ईश्वरीय शक्ति को ललकारा गया है।इसके सबके बावजूद सुबह मंदिर खुला तो शिवलिंग की पूजा हो चुकी थी।

          भोलानाथ मिश्र

  वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी

 रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी

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