March 19, 2025
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लखनऊ : लॉकडाउन में ढील बढ़ने के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव अपने निर्धारित समय पर ही करवाए जाने की तैयारी भी तेजी से शुरू होगी।

अगर आने वाले महीनों में स्थितियां बद से बदतर नहीं हुईं तो कोरोना संकट से उपजे हालात में फिलहाल प्रदेश सरकार का पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है। राज्य के पंचायतीराज मंत्री चौधरी भूपेन्द्र सिंह ने अपने खास बातचीत में कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं।श्री चौधरी ने कहा मुझे नहीं लगता कि पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की कोई जरूरत पड़ेगी।’

चुनाव की तैयारियों के बाबत उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों के दरम्यान प्रदेश की करीब 1000 ग्राम सभाओं का शहरी क्षेत्र में विलय हुआ है। राज्य के 48 जिले सीमा विस्तार से प्रभावित हुए हैं। इनमें उतने क्षेत्र में ही परिसीमन होगा जो आंशिक रूप से पंचायत में शामिल हुई हैं। मुरादाबाद, संभल और गोण्डा में 2015 के चुनाव में परिसीमन नहीं हो सका था। इन कुल 51 जिलों में नए सिरे से वार्डों का परिसीमन किया जाना है। जैसे वार्ड बन जाएंगे उसके तुरंत बाद ही मौजूदा वोटर लिस्ट राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी जाएगी, फिर आयोग इस वोटर लिस्ट का वृहद पुनरीक्षण का काम शुरू करवा देगा।
पंचायतीराज मंत्री ने कहा कि वैसे भी मौजूदा ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 26 दिसम्बर तक है। क्षेत्र पंचायतों का अगले साल जनवरी के अंत तक और जिला पंचायतों का अगले साल मार्च तक कार्यकाल है।

इस नाते अभी पर्याप्त समय है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर जुलाई से भी चुनाव की तैयारियों ने तेजी पकड़ी तो सब कुछ समय से होता चला जाएगा।उधर, राज्य निर्वाचन आयोग में भी पंचायतों के पुनर्गठन की सूचना पहुंचने लगी है। बीती 18 मई को आयोग में एक पत्र के जरिये पंचायतीराज विभाग ने 32 जिलों की 267 पंचायतों की सूचना दी है जो पूर्णरूप से शहरी क्षेत्र में शामिल हो गई हैं। आयोग के सूत्रों का कहना है अभी इस बाबत और सूचनाएं शासन से आनी बाकी हैं।

2015 में हुए चुनाव के आंकड़े
-कुल पंचायतें-59, 162
-कुल वोटर-11.77 करोड़
-प्रधान के एक पद पर औसत न्यूनतम प्रत्याशी-8.1%
-क्षेत्र पंचायत सदस्य के एक पद पर न्यूनतम प्रत्याशी-5.3%
-जिला पंचायत सदस्य के एक पद पर न्यूनतम प्रत्याशी-16.6%
-26 दिसम्बर 2015 को हुई थी नव निर्वाचित पंचायतों की पहली बैठक

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