अयोध्या : प्राकृतिक व अप्राकृतिक आपदा की मार झेल रहा है किसान

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अयोध्या । देश का अन्नदाता हर तरफ से मारा जा रहा है पहले आवारा पशुओं ने फसलों को नष्ट किया व कर रहे हैं। इसके बाद असमय ओलावृष्टि व बारिश ने अन्नदाता की फसलों को बर्बाद किया और अब कोरोना नामक महामारी सरकार ने लाक डाउन ऐसे समय पर किया जब किसानों की फसल काटने व बेचने के लिए तैयार थी। सब्जी उगाने वाले किसान जी तोड़ मेहनत व लागत लगाने के बाद जब अपना उत्पाद लेकर मंडे पहुंचा वहां खरीदार ना होने के कारण औने पौने दामों में बेचकर घर भाग रहा है।क्योंकि समय सीमा में निर्धारण के चलते उसे पुलिस के डंडे का भी डर है बाहरी खरीदार ना होने के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। और अगर पुलिस ने पकड़ लिया तो उससे भी हाथ धोना पड़ रहा है ।सरकार का सारा ध्यान कोरोना और श्रमिकों की वापसी व उनके रोजगार पर ही है मगर देश की रीढ़ की हड्डी समझे जाने वाले किसान की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।आधे अधूरे किसान सम्मान निधि के अलावा किसान के हाथ कुछ नहीं आ रहा है। जबकि मनरेगा मजदूरों श्रमिकों के लिए सरकार ने खजाना खोल रखा है। उद्योगपतियों के लोन माफ किए जा रहे हैं मगर किसानों का ऋण नहीं माफ किया जा सकता क्योंकि किसान धनकुबेरो की तरह सरकार के साथ बैठक नहीं करता। योजनाएं नहीं बनाता सिर्फ सरकार की तरफ कातर नेत्रों से देखता रहता है। कि कब सरकार उसकी तरफ नजर घुमाकर देखेगी और उसके लिए कुछ करेगी शीर्ष सत्ता में बैठे लोग अपनी सैलरी व भत्ता बढ़ाने के लिए आधी रात को फैसला कर लेते हैं। किसी को भनक तक नहीं लगती मगर किसानों के फायदे के लिए सब चुप्पी साध लेते हैं। किसानों का मसीहा बनने वाले लोग खरबपति बन गए नेता मंत्री बन गए मगर किसान वही का वही रह गया क्यों क्योंकि उसके हित की बात तो सभी करते हैं मगर उसके लिए काम कोई नहीं करता किसान इसी आशा में बैठा है कि कभी तो उसकी सुनी जाएगी।

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