CAA Protest: हर्ष मंदर पर नफरती भाषण का आरोप, SC ने किया जवाब तलब
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भारतीय जनता पार्टी के तीन नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा के खिलाफ भड़काऊ भाषण (Hate Speech) को लेकर एफआईआर की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पूर्व आईएएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर (Harsh Mander) खुद ही घिर गए हैं. कोर्ट ने हर्ष मंदर को फटकार लगाते हुए उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे ने कहा कि आपकी याचिका पर तब तक सुनवाई नहीं होगी जब तक कि न्यायपालिका को लेकर की गई आपके बयान का मामला नहीं सुलझ जाता.
बीजेपी नेताओं के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर के हेट स्पीच का मुद्दा उठाया. सीजेआई एस ए बोबडे ने भाषण का ट्रांसक्रिप्ट पढ़ने के बाद मंदर से पूछा कि आपने ये भाषण कब और कहां दिया था? आप कोर्ट को लेकर इस तरह की भावनाएं रखते हैं? हम आपको नोटिस जारी करेंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता हर्ष मंदर के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं. कोर्ट ने फिलहाल उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 3 दिनों से दिल्ली में कोई दंगा नहीं हुआ है. इस पर कोर्ट ने पूछा तो क्या आप आज एफआईआर करेंगे? तुषार मेहता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में मामला लंबित है, सुप्रीम कोर्ट को इसपर सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
बता दें कि इसके पहले बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को हर्ष मंदर का एक वीडियो ट्वीट किया था, जिसमें मंदर कहते दिख रहे हैं कि अब फैसला संसद या सुप्रीम कोर्ट में नहीं, सड़कों पर होगा. मंदर कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में इंसानियत और धर्म निरपेक्षता की रक्षा नहीं की, इसलिए लोग अब सड़कों पर अपने भविष्य का फैसला करेंगे.
गौरतलब है कि इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन नेताओं के भड़काऊ भाषण देने के कारण ही दिल्ली में हिंसा भड़की. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सोमवार को याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था, इस पर कोर्ट ने चार मार्च को सुनवाई करने पर सहमति जता दी थी. बता दें कि दिल्ली हिंसा में अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
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