January 22, 2025

नवागत डीएम ने खुद माना कि जिलास्पताल में है अवस्थाओं का भंडार,दिए सुधार के सख्त निर्देश

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अयोध्या ! निरीक्षण के दौरान डीएम अनुज झा ने माना जिला अस्पताल में स्पेलिस्ट डॉक्टर नही है।जिला अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट नही, कार्डियोलॉजिस्ट नहीं, रेडियोलॉजिस्ट नहीं,जिला अस्पताल में केवल एक एनेस्थीसिया के है डॉक्टर।जिले में केवल एक रेडियोलॉजिस्ट। सप्ताह में 2 दिन जिला अस्पताल में रहने के आदेश।दिन नियत करके मरीजों के होंगे अल्ट्रासाउंड।वर्षों से खराब है यहां का सीटी स्कैन मशीन।गरीब मरीजों को सीटी स्कैन कराने के मेडिकल कालेज तक करना पड़ता है।कई बार इस जांच की सेवा यहां न होने से त्वरित सही उपचार नही हो पाता।जिससे मरीज असमय काल के गाल में समा जाते है।डीएम ने कहा वे स्वयं इसके लिए शासन को पत्र लिख इस सेवा का सफल संचालन शुरू कराएंगे। अस्पताल में स्पेलिस्ट डॉक्टर के लिए भी नवागत जिलाधिकारी द्वारा शासन को लिखा जाएगा पत्र।जांच के दौरान डीएम को जिला अस्पताल में दवाओं की भी कमी मिली।डॉक्टर लोकल परचेज कर पूरी करें जरूरत- अनुज झा।जिला अस्पताल के बाहर खड़ी प्राइवेट एंबुलेंस को लेकर भी डीएम ने जताई नाराजगी।डीएम के कड़े तेवर से जिला अस्पताल में हड़कंप रहा।आनन फानन में जिला अस्पताल परिसर वार्ड आदि की साफ सफाई कराकर जिला अस्पताल गेट के पास हुए अतिक्रमण को खाली कराया गया।

गंभीर रोगी अपने चिकित्सक का करते रहते है इंतजार

इमरजेंसी वार्ड से दुर्घटना आदि में गंभीर रूप से घायल मरीज जैसे ही जनरल आदि वार्डो में शिफ्ट किये जाते है उन्हें देखने के लिये सिर्फ वार्ड ब्वाय व अन्य महिला स्टॉफ के भरोसे ही उनका उपचार रहता है।एक महिला मरीज के साथ आये लोगों का कहना है जिस डॉक्टर का नाम फाइल में लिख गया वो एक बार देखने के बाद तीन तीन दिन तक गायब रहते है।दूसरा अन्य कोई डॉक्टर जब राउंड पर आता है ये कहते हुए उस मरीज को नही देखते है कि आपके डाक्टर दूसरे है।

डीएम के औचक निरीक्षण के बाद नही सुधरी डाक्टरों की रवैय्या।

कहने को नवागत डीएम के जिलाधिकारी द्वारा जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण कर मातहतों को कड़े निर्देश दिए।बावजूद डाक्टरों के रवैय्ये में कोई बदलाव नही।पूरा पूरा दिन बीत जाता है डाक्टर मरीज का हाल तक देखने नही आते है।इतना ही नही मरीज के परिजन जब उपचार के लिये ज्यादा अनुनय विनय करते है तो उन्हें तत्काल मेडिकल कालेज के लिये रेफर कर देते है।ऐसे में मरीज व उनके परिजन चुपचाप बिना उपचार के जिन्दगी और मौत से जंग लड़ने को मजबूर रहते है।

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