देश के लिए दे दी जान अब शहीद हेमराज का परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है,सरकार सुन ले
New Delhi : आठ जनवरी 2013 को देश को एक मनहूस खबर मिली थी, जब जम्मू-कश्मीर में एलओसी के पास कृष्णा घाटी में मथुरा निवासी सेना के लांस नायक हेमराज शहीद हो गए थे। पाकिस्तानी फौज ने उनके साथ एक और जवान सुधाकर सिंह का सिर कलम कर दिया था। पाकिस्तानी सैनिकों के इस बर्बर कृत्य पर देश में उबाल आ गया था।
उस वक्त हेमराज की शहादत पर खूब राजनीति हुई। लेकिन हेमराज की शहादत को छह साल बीते गए परिवार मदद के लिए दर दर भटक रहा है। सरकार के वादे अब भी कागजों पर ही है।शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती और उनके तीन बच्चे बीते छह साल से एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं।लेकिन अब तक न तो उन्हें सरकारी नौकरी मिली है और न ही पेट्रोल पंप।यहां तक की मथुरा के कैंट इलाके के जिस क्वार्टर में हेमराज की विधवा अपने बच्चों समेत रह रही है।उसे भी खाली करने के नोटिस मिल रहे हैं।
हेमराज की विधवा धर्मवती ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से कहा- छह साल बीत गए, न सरकारी नौकरी मिली और न पेट्रोलपंप। मंत्री राजनाथ सिंह से भी फरियाद कर चुकी हूं, और भी कई दफ्तरों में चक्कर काट चुकी हूं। आने जाने का भाड़ा लग जाता है मगर काम होता नहीं। लिहाजा अब घर बैठ गए हैं।यह वही शहीद हेमराज हैं, जिनकी शहाद पर नरेंद्र मोदी से लेकर सुषमा स्वराज ने चुनावी भाषणों में एक के बदले पाकिस्तान से दस सिर लाने के दावे किए थे। हेमराज की शहादत के बाद बीजेपी ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जमकर इस मुद्दे पर राजनीति भी हुई।लेकिन आज सरकार शहीद हेमराज के परिवार को भूल चुकी है।
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