कोरोना : मां को अंतिम बार देख भी नहीं सका बेटा, कंधा देने के लिए नहीं मिल रहे चार लोग

कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया से अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही है। कहीं सड़क पर तड़पते लोग दिख रहे हैं तो कहीं इलाज के बाद जाते मरीज के चेहरे पर सुकून नजर आ रहा है। बावजूद इसके एक खौफनाक और बेहद मार्मिक पक्ष छुपा हुआ है। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद उनके परिवार वाले तक उनका अंतिम बार चेहरा तक नहीं देख पा रहे हैं।
पूरे विश्व में कोरोना से हजारों मौत हो चुकी है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 16 तक पहुंच गया है। देश भले ही अलग-अलग हैं, लेकिन तस्वीर लगभग एक जैसी है। कोरोना वायरस से मौत के मुंह में समाए शख्स के अंतिम संस्कार में रिश्तेदार तो दूर खुद घर के लोग भी शामिल नहीं पा रहे हैं।
सिर्फ दो रिश्तेदारों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार
क्रिया कर्म करने वाले एक शख्स ने बताया कि वह पिछले 18 साल से यह काम कर रहा है, पर इस बार जो नजारा देखने को मिल रहा है वह पहली बार है। अब तक कभी भी ऐसे किसी शख्स का अंतिम क्रियाकर्म नहीं किया है, जिसमें मृतक के परिवार के सदस्य नहीं हो। लेकिन बीते मंगलवार को एक 99 वर्षीय मृतक महिला के अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी की, जिसके बच्चे विदेश में रहते है। कोरोना वायरस के चलते उड़ाने रद्द कर दी गई हैं, जिस वजह से मृतक महिला के बच्चे नहीं आ पाए। अंतिम संस्कार सिर्फ दो रिश्तेदारों की मौजूदगी में पूरा किया गया।
कंधा देने के लिए नहीं मिल रहे लोग
एक तस्वीर और है जो अंदर तक झकझोर देने वाली है। लोग परिवार की कल्पना इसलिए करते थे ताकि अंतिम समय में उन्हें कंधा देने वालों की कमी न हो, लेकिन आज तस्वीर बिल्कुल उल्टी है। घर के सदस्य ही मृतक को कंधा देने में कतरा रहे है। संक्रमण का ऐसा खौफ है कि लोग पास जाना तो दूर अंतिम दर्शन के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। इसलिए अब सीधा कोरोना से मृत व्यक्ति को एंबुलेंस से ही क्रिया कर्म के स्थान तक ले जाया जा रहा है।
न भीड़ नजर आती है और न साथ चलने वाले लोग
कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से परिजन मृतक को सीधा अस्पताल से श्मशान घाट ले जाते हैं वो भी बेहद ही चुपचाप तरीके से। शव यात्रा में शामिल होने वाले लोगों का न तो हुजूम नजर आता है और न ही घाटों पर भीड़ दिखती है। लोग शव घर ले जाने की जगह सीधा क्रिया कर्म स्थल पर ले जाना जाता उचित समझ रहे हैं।
