रुदौली(अयोध्या): लीला में रामविवाह का चित्रण देख मुग्ध हुए दर्शक

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उठहुँ राम भंजउ भव चापा,मेटहु तात जनक परितापा!श्रीरामलीला समिति, रुदौली के तत्वधान में चतुर्थ दिवस रावण बाणासुर संवाद, धनुष यज्ञ, राम विवाह व लक्ष्मण परशुराम संवाद का हुआ मंचन

रुदौली(अयोध्या) ! मिथिला नरेश जनक की पुत्री का स्वयंवर …सुदूर देशों से पधारे हुए बड़े-बड़े भूपतियों से सजा स्वयंवर स्थल। जनक के दरबार मे बंदी जनों ने स्वयंम्बर में आये हुए सभी राजाओं को जनक का प्रण सुनाया। जिसके अनुसार शिव जी के विशाल धनुष पर चाप चढ़ाने वाले राजा का सीता से विवाह होगा। विभिन्न देशों से आये हुए राजाओं ने अपने अपने बल का दम्भ भरा। स्वयंवर में महर्षि विश्वामित्र के साथ दशरथ सूट राम और लक्ष्मण भी उपस्थित हुए। सभी राजाओं ने शिव जी के धनुष पर चाप चढ़ाने का प्रयास किया लेकिन धनुष किसी भी राजा के उठाने से तनिक भी हिला तक नही। नृप हताश और निराश होकर रह जाते है और मिथिला नरेश के के वचनों से भी लज्जित होते हैं। गुरु विश्वामित्र राम को शिव धनुष पर चाप चढ़ाकर जनक के संताप को दूर करने का आदेश देते हैं। राम धनुष पर चाप चढ़ाते हैं और सीता उनका वरण करती है। ऋषि मुनि देवता नर किन्नर सभी उनपे पुष्पवर्षा करते हैं। धनुष यज्ञ और राम विवाह के मंचन के लिए समिति की ओर आज विशेष तैयारियां की थीं। स्वयंवर स्थल को पुष्लताओं से सज्जित किया गया था और राम के गले मे वरमाला पड़ते ही पुष्पवर्षा होने लगी । आतिशबाजी से आसमान की छटा दर्शनीय हो गयी। इसके पहले रावण और बाणासुर संवाद ने ड्रैसको की खूब तालियां बटोरी। बाणासुर के रूप में पंकज आर्य और रावण के रूप में अनुराग अग्रवाल ने अपने अभिनय से प्रभावित किया। राजा जनक का अभिनय कर रहे ब्रज किशोर ने दर्शकों की प्रशंसा पायी। सभा मध्य पधारे परशुराम अपने आराध्य शिव जी खण्डित दहनुष देखकर अतिशय क्रुद्ध हो जाते हैं और जनक से इसका कारण पूछते हैं।लक्ष्मण से उनका संवाद होता।परशुराम का संशय मिटता है और उन्हें ज्ञात होता है कि राम तो साक्षात नारायण का अवतार हैं। राम का अभिनय कर रहे अभिषेक मिश्र ने वीर रस से भरे सम्वाद को दर्शकों की खूब सराहना मिली। मंच सज्जा ने पूरे मंचन को और भी स्तरीय बना दिया। निर्देशक कमलेश मिश्र मृदुल मनोहर अग्रवाल ने बताया कि ये प्रसन इस मन्च का विशेष प्रसंग होता है। स्वरूप सज्जा और मंच व्यवस्था में लगे आशीष शर्मा व संदीप शुक्ला ने बताया कि आज के दिन काफी दूर दूर से दर्शक लीला देखने आते हैं। ज्ञात हो कि 3 अक्टूबर को राम वनगमन, दशरथ कैकेयी संवाद का मंचन होगा।

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