तुलसी से लेकर सास भी कभी बहू बनने तक की स्मृति की स्मृति

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43 साल की स्मृति ईरानी ने मोदी सरकार-2 में केंद्रीय मंत्री पद की शपथ ली है। 2014 में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार में स्मृति ईरानी पहले शिक्षा मंत्री रहीं और उसके बाद उन्हें कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। स्मृति इस वक्त अपने भाषणों में राहुल गांधी के खिलाफ लगातार हमलावर हैं। राहुल गांधी पर निशाना साध वह अमेठी की जनता को साधने में जुटी हुई हैं। राजनीति में आने से पहले स्मृति ईरानी टेलीविजन का चर्चित चेहरा रही हैं। आइए दिल्ली के मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुई, मनोरंजन इंडस्ट्री के जरिए घर-घर में प्रसिद्ध हुई और फिर राजनीति के शिखर पर पहुंची स्मृति ईरानी के प्रोफाइल पर एक नजर डालते हैं।

स्मृति ने घर चलाने के लिए 10वीं के बाद शुरू कर दी थी नौकरी
स्मृति ईरानी दिल्ली में मध्यवर्गीय परिवार में 23 मार्च 1976 को पैदा हुईं। उनके पिता पंजाबी और मां बंगाली हैं। तीन भाई-बहनों में स्मृति सबसे बड़ी हैं। परिवार की आर्थिक सहायता के लिए स्मृति ने दसवीं कक्षा के बाद ही काम करना शुरू कर दिया था। वह सौंदर्य उत्पादों का प्रचार करती थीं और उन्हें इसके बदले दिन में 200 रुपए मिलते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। 1998 में स्मृति ने ‘मिस इंडियां’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया लेकिन वह फाइनल तक नहीं पहुंच पाईं। इसके बाद स्मृति ने मुंबई जाने की ठानी। मुंबई में शुरुआती दिनों में स्मृति ने आजीविका चलाने के लिए मैकडॉन्लड्स में भी काम किया।

2001 में हुई शादी, ‘तुलसी’ बन घर-घर में हुई फेमस
स्मृति ने मुंबई में रहने के दौरान खुद की आजीविका चलाते हुए मनोरंजन इंडस्ट्री में ऑडिशन देना शुरू किया। 2001 में स्मृति ईरानी ने पारसी व्यवसायी जुबिन ईरानी से शादी कर ली। स्मृति ईरानी के दो बच्चे हैं। उनके बेटे का नाम जौहर और बेटी का नाम जौइश है। स्मृति ईरानी ने प्रसिद्ध अभिनेत्री नीलम कोठारी को रिप्लेस कर ‘ओह ला ला ला’ शो को होस्ट किया। इसके बाद स्मृति ईरानी को एकता कपूर का सीरियल मिला।एकता के सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ के जरिए स्मृति ईरानी घर-घर में प्रसिद्ध हो गईं। इस नाटक में उनके किरदार ‘तुलसी’ को काफी प्रसिद्धि मिली। तुलसी के करेक्टर के लिए स्मृति ईरानी को कई पुरस्कार भी मिले। इस नाटक के अलावा स्मृति ने ‘ये है जलवा’ शो को भी होस्ट किया। यह डांस रियलिटी शो था जो कि 2008 में ऑन एयर हुआ था। टीवी सीरियल के अलावा स्मृति ने बंगाली फिल्म में भी काम किया है। इसके बाद स्मृति राजनीति में आ गईं। 2003 में थामा भाजपा का दामन
स्मृति ईरानी ने साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। उन्होंने महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। साल 2004 में स्मृति ईरानी ने चांदनी चौक से कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा। लेकिन वह चुनाव हार गई। स्मृति चुनाव तो हार गईं लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें भाजपा की केंद्रिय समिति की एग्जक्यूटिव मेंबर बनाया गया। 2010 में स्मृति ईरानी पार्टी की राष्ट्रीय सचिव एवं महिला विंग की प्रसिडेंट बनाई गईं।स्मृति ईरानी के लीडरशिप कौशल एवं कड़ी मेहनत के बदौलत उन्हें साल 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ उतारा गया। हालांकि स्मृति लोकसभा चुनाव तो हार गईं लेकिन उन्होंने राहुल गांधी को कड़ी चुनौती दी। उनके कौशल को देखते हुए जब मोदी लहर की बदौलत सत्ता में भाजपा आई तो उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। स्मृति मोदी कैबिनेट की सबसे युवा महिला सदस्य बनीं। बाद में जब मोदी मंत्रीमंडल का पुर्नगठन हुआ तो स्मृति ईरानी को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी सौंपी गई।

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