July 27, 2024

हिंदुओं ने मदद की और बचा ली सदियों पुरानी मस्जिद की मीनार

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असम के नौगांव जिले में एक सदियों पुरानी मस्जिद की मीनार का अस्तित्‍व खतरे में आ गया था। हाइवे चौड़ा करने के लिए उसे गिराया जाना था, लेकिन जागरूक नागरिक आगे आए और उन्‍होंने अपने प्रयासों से ही उस मीनार को बिना नुकसान पहुंचाए वहां से दूर हटा लिया

गुवाहाटी
असम के नौगांव जिले में आजकल पुरानीगोदाम मीनार के बहुत चर्चे हैं। यह मीनार 1824 में बनी पुरानीगोदाम मस्जिद के भीतर स्थित है। इसे कुछ साल पहले हाइवे चौड़ा करने के लिए गिराया जाने वाला था। लेकिन इस इलाके के मुस्लिमों के साथ-साथ हिंदू भी पुरानीगोदाम मस्जिद की इस मीनार को बचाने के लिए आगे आ गए।

2015 में नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया(एनएचएआई) ने एनएच-37 को चार लेन के हाइवे में बदलने का प्रस्‍ताव रखा था। लेकिन यह मीनार इसके रास्‍ते में आती थी। इससे परेशान कुछ हिंदू और मुस्लिम नागरिकों ने जिला प्रशासन से बातचीत की और उन्‍हें इस मीनार के संरक्षण के लिए ज्ञापन दिया। लेकिन एनएचएआई और पीडब्‍ल्‍यूडी विभाग ने जवाब दिया कि इस मीनार को कहीं और ले जाना मुश्किल साबित होगा।

नागरिकों ने जुटाया चंदा
एनएचएआई के हाथ खड़े करने के बावजूद यहां के नागरिक चुप नहीं बैठे और उन्‍होंने मीनार के संरक्षण के लिए चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया। जल्‍द ही उनके अभियान की खबर हरियाणा की एक इंजिनियरिंग कंपनी को लग गई।
इस समस्‍या का समाधान निकालने वाले इंजीनियर गुरदीप चौहान कहते हैं, ‘हमने लिफ्टिंग और शिफ्टिंग तकनीक का प्रस्‍ताव रखा। इसमें हम इमारत को प्‍लेट रोलर्स की मदद से उसकी नींव से उठाते हैं और दूसरी जगह ले जाते हैं। इस मीनार का आधार 42 मीटर व्‍यास का है। उस पर बहुत खूबसूरत सजावट की गई है। इतने बरसों में उसे भी कुछ नुकसान पहुंचा था।’

20 दिन में काम हो जाएगा पूरा
फिलहाल, छह मजदूरों की मदद से मीनार को 70 फीट दूर ले जाया जा रहा है। चौहान बताते हैं, ‘शुरू में हमने 5 लाख रुपयों के खर्च का अनुमान लगाया था। लेकिन अब यह बढ़कर 8 लाख हो चुका है। इसलिए हमारी कंपनी ने भी कुछ योगदान दिया है। अब तक 60 प्रतिशत काम हो चुका है। अगले 20 दिनों में हम काम पूरा कर लेंगे।’
स्‍थानीय लोगों ने अब जाकर राहत की सांस ली है। पुरानीगोदाम कस्‍बे के चितरंजन बोरा कहते हैं, ‘चार साल पहले हमने इस मीनार के संरक्षण का काम शुरू किया था। यह मीनार नौगांव मे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। सोशल मीडिया के जरिए बहुत से लोगों को इसके बारे में पता चला, अब चारों तरफ से हमें मदद मिल रही है।’ चितरंजन ने ही इस मीनार के संरक्षण के बारे में सबसे पहले प्रशासन को आगाह किया था।

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