आज़म के जांघिया ज्ञान पर शर्मा गई बेशर्मी…?

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आज़म के जांघिया ज्ञान पर शर्मा गई बेशर्मी। ?

जांघिया का रंग जानने में माहिर सपा नेता को माया के जूतों की भी चिंता।

हताश है या फिर चर्चा पाने को परेशान है आजम।

*कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया)*

लखनऊ। पूर्व मंत्री आजम खान को जांघिया का रंग पहचानने का ज्ञान कब और कैसे आ गया? वास्तव में यह जानकर सपाइयों को भी सतर्क हो जाना चाहिए! यही नहीं इस नये हुनर के बीच आजम खान को बसपा सुप्रीमो मायावती के जूतों की भी बड़ी चिंता है। उनके भाषणों में यह स्थिति नजर भी आती है। अब यह उनकी हताशा है या फिर चर्चा पाने की भूख यह तो वो जाने? लेकिन यह सत्य है कि खान के जांघिया ज्ञान से बेशर्मी जरूर शर्मा गई है? बेचारी।

कहा जाता है कि इंसान के व्यक्तित्व में गुण एवं दोष कब घर कर जाए यह कहा और बताया नहीं जा सकता। जी हां हम बात कर रहे हैं समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की। रामपुर के लोकसभा प्रत्याशी आजम खान इस समय अंडरवियर क्लियर मैन के रूप में ख्याति बटोर रहे हैं ।उन्होंने रविवार को अपने भाषण में कहा कि जिन्हें में उंगली पकड़कर लेकर आया। राजनीति सिखाई। उन्हें आप 17 वर्षों तक नहीं जान पाए ।जबकि मैंने 17 दिनों में ही जान लिया था उनके अंडरवियर का रंग खाकी है । आजम के इस बयान पर हल्ला मच गया। महिला आयोग ने स्वयं नोटिस भेजी तो चुनाव आयोग को भी इससे अवगत कराया। भाजपा भी चिल्लाई ।भाजपा की प्रत्याशी जयाप्रदा ने कहा ना जाने क्या हो गया है आजम भाई को।यह तो वही जाने हम क्या कहे। कई और बयान है। अभी आगे और भी प्रतिक्रियाएं इस नए अंडरवियर ज्ञान पर होंगी। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आजम खान में यह खूबी इतने दिनों से थी कि वह किसी के जांघिये का रंग 17 दिनों में जान ले! यह तो देश आज ही जान पाया है। अब तक श्री खान न जाने कितने लोगों के अंडरवियर के रंगों को जान चुके होंगे। उनके अपने भी यह सोच सोच कर शायद परेशान हैं? कि उनके जांघियो का राज साथी आजम खान के सामने बहुत पहले खुल चुका है।

दरअसल चर्चाओं के मुताबिक आजम खान समाजवादी पार्टी के एकमात्र ऐसे नेता है जिन्होंने अब तक अनाप-शनाप बयान देकर की ही राजनीत में नाम कमाया है। उनके काम भले ही एक निश्चित क्षेत्र से आगे ना दिखाई देते हो। लेकिन बिगड़े बोलो के जरिए वह हमेशा राजनीति की रोटी सेक कर खाते रहे? दूसरों पर हमलावर होने से पहले यह व्यक्ति यह नहीं सोच पाता कि सामने पुरुष प्रतिनिधि है अथवा महिला प्रतिनिधि ।जो बोलते हैं। अपनी रौ में बोल जाते हैं। शायद यह इसलिए है क्योंकि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी कुछ ज्यादा ही है। वह भी देश के नेताओं को। तभी तो आजम अंडरवियर के रंग को पहचानने की बात कर गए।

सूत्रों के मुताबिक जब आजम के जांघिया ज्ञान पर चर्चा एवं परिचर्चा बढ़ी तो मिस्टर खान बचाव की मुद्रा में आ गए ।उन्होंने कहा कि जिसे सोचा जा रहा है उस पर मेरा कटाक्ष नहीं था। मुझ पर आरोप सिद्ध हो जाए तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। मेरी बात तो उस पर थी जो तमाम हथियारों से लैस होकर रामपुर मुझे अमर मजा चखाने आए थे! फिलहाल आजम की यह बात अब हजम नहीं होती। उन्हें भय है चुनाव आयोग के डंडे का। तभी तो अप्रत्यक्ष रूप से राज्यसभा सांसद अमर सिंह की और उन्होंने मामले को धकेलना प्रारंभ कर दिया है।

सवाल है कि आज़म खान जब आप मात्र 17 दिनों में ही जान गए थे कि फला फला के अंडरवियर का रंग खाकी है तो उसे बरसो वर्ष तक ढोते क्यों रहे। क्या आपको भी खाकी अंडरवियर से कुछ लगाव हो गया था ?जाहिर है कि आजम की इस बेतुकी शब्दावली पर बेशर्मी भी शरमा कर रह गई ।राजनीति में वे अभी और भी कुछ बोलेंगे।

ऐसा नहीं है कि प्रदेश की राजनीति में अकेले आजम खान ही है जो बयानों की बदौलत राजनीति की रोटी खा रहे हैं। भाजपा एवं कांग्रेस तथा दूसरे दलों में भी बड़े-बड़े बयान वीर हैं! जो अपने बिगड़े बोलो की वजह से राजनीति के बड़े पालनहार बने हुए हैं । हा यह जरूर है कि मुलायम सिंह यादव जी एवं अखिलेश यादव जी को भी सतर्क रहना चाहिए कि उनके अपने आजम खान में जांघियों का रंग जान लेने का जबरदस्त ज्ञान जो है। अथवा आ गया है।

आजम खान ने जांघिया ज्ञान के बाद एक बात और कहीं ।जिससे यह साबित हुआ कि उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती के जूतों की भी बड़ी चिंता है ।खान एक सभा में कहते हैं कि कलेक्टर वलेक्टर से मत डरियो। वह जो मायावती जी हैं अपने जूते इन्हीं से साफ करवाती हैं। ऊपरवाले का करम होगा डीएम अब भी वही करेगा। अरे वाह एक जमाने में जयाप्रदा को चुनाव लडा रहे थे और मायावती तथा बसपा को आप ही ने मैले की संज्ञा दे डाली थी। आज आप माया के जूतों की सफाई के लिए इतना चिंतित हैं कि यहां भी मर्यादा पार करके बोल गए ।शायद आजम खान हताश हैं तभी तो अंडरवियर से गिरे और मायावती की जूतों पर जाकर अटक गए? अभी यहां से भी गिरेंगे आगे फिर कहीं जाकर अटक जाएंगे !दरअसल आजम खान बेचैनी इस बात की है रामपुर संसदीय क्षेत्र में 51% जो मुस्लिम मत हैं उन्हें कहीं छिटकने ना दिया जाए। उनको यह चिंता कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है। यही वजह है कि वह बिगड़ी शब्दों को बोल कर के एक तीर से कई निशाने साधना चाहते हैं ।आजम का सोचना यह है कि जब वह बेशर्मी से सने हुए शब्दों को अपने भाषण में लाएंगे तो उस क्रिया की प्रतिक्रिया भी होगी। कोई उनका बयान वीर जो भाजपा का मित्र होगा वह भी उनके जैसे ही भाषा का प्रयोग करेगा? जिससे कि मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण में उनको मदद मिलेगी ?इसके अतिरिक्त चर्चा में भी बने रहेंगे। शायद यही वजह है उनका अंडरवियर ज्ञान सामने है।कई लोगों ने तो चर्चा में यह कहना शुरू कर दिया कि आजम जी को अब अंडरवियर क्लियर मैन अगर कहा जाए तो यही सही रहेगा।
आजम खान तुनक मिजाजी एवं मर्यादा विहीन बयानबाजी के लिए विख्यात है ।कभी-कभी वह बहुत ही सही बात भी कर जाते हैं। जो सुनने में भी अच्छी लगती है ।लेकिन खान उस पर बहुत देर तक टिक नहीं पाते।जाहिर है कि आजम को आत्म चिंतन करना होगा ।अपनी जुबान को काबू में रखना होगा ।उन्हें समझना होगा राजनीति में कैसे शब्दों का प्रयोग किस मर्यादा तक किया जा सकता है। उनका जांघिया ज्ञान, उनका माया के जूतों की सफाई की चिंता करना उनकी दृष्टि में सही हो सकता है। लेकिन दूसरों की भी इस पर नजर है ।सभ्यता ऐसे विचारों को महत्त्व नहीं देती। तभी तो बेचारी बेशर्मी भी बस बार-बार जांघिया ज्ञान पर उठने वाली चर्चा से शर्माती ही जा रही हैं !जी हां बेशर्मी शर्माती ही जा रही है। क्योंकि आजम खान की नजरों के सामने अपनी जांघियों का रंग छुपाना जो मुश्किल हो गया है??????

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