July 27, 2024

चौकीदार रघुबर दास के झारखंड में 10,000 चौकीदारों को पिछले चार महीने से नहीं मिला है वेतन

0

रांची: एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा मैं भी चौकीदार अभियान में जुटी हुई है और भाजपा नेता अपने ट्विटर प्रोफाइल में चौकीदार शब्द जोड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ झारखंड सरकार के 10,000 वास्तविक चौकीदारों को सैलरी न मिलने की वजह से घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार महीनों से 24 जिलों के इन चौकीदारों को उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. इसमें से हर एक चौकीदार एक थाना के तहत 10 ग्रामीणों की निगरानी करता है. प्रत्येक चौकीदार को 20,000 रुपये का वेतन मिलता है.

साल 1870 में ग्राम चौकीदार अधिनियम लागू होने के बाद चौकीदार ब्रिटिश काल से भारत में पुलिस व्यवस्था का हिस्सा रहे हैं. ये लोग अपने वरिष्ठ दफादारों को रिपोर्ट करते हैं. झारखंड सरकार ने उनके लिए एक अलग कैडर समर्पित किया है.

10,000 चौकीदारों के अलावा, लगभग 200 दफादार हैं, जिन्हें हर महीने 22,000 रुपये मिलते हैं. यहां तक कि इन्हें भी चार महीने से वेतन नहीं दिया गया है. बीते मंगलवार को 11.30 बजे से एक घंटे के मौन विरोध प्रदर्शन के तहत 20 चौकीदारों ने रातू पुलिस स्टेशन पहुंचे थे.

बोकारो जिले के झारखंड राज्य दफादार चौकीदार पंचायत के अध्यक्ष कृष्ण दयाल सिंह ने कहा कि राज्य के चौकीदारों को चार महीने से उनका वेतन नहीं मिला है, जबकि पूरा देश मैं भी चौकीदार अभियान के बारे में बात कर रहा है.

सिंह ने कहा, ‘जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद को चौकीदार कहा और बाद में मैं भी चौकीदार अभियान शुरू किया, तो हमें गर्व महसूस हुआ कि किसी ने प्रशासन के इस उपेक्षित वर्ग को पहचाना. लेकिन तथ्य यह है कि हमारे वेतन में हमेशा देरी होती है. हम ही हमेशा क्यों पीड़ित हों? मैं जानना चाहता हूं कि क्या मुख्यमंत्री रघुबर दास, मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी और अन्य सभी अधिकारियों का वेतन कभी एक दिन की देरी से आया है.’

उन्होंने कहा कि चौकीदार और दफादार पुलिस व्यवस्था की रीढ़ थे क्योंकि उन्होंने जमीन पर खुफिया जानकारी एकत्र की, असामाजिक तत्वों पर नजर रखी और पुलिस को अपराध रोकने में मदद की. उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा से ही खतरों का सामना करते आए हैं क्योंकि हमारी पहचान स्पष्ट है.’

रांची के एक अन्य चौकीदार राम किशुन गोप ने कहा कि उनका काम अपने क्षेत्रों में गतिविधियों पर नज़र रखना और पुलिस को सूचित करने के लिए जमीन से खुफिया रिपोर्ट इकट्ठा करना था. हालांकि उन्हें अक्सर वरिष्ठ अधिकारियों के घरों में परिचारक (अटेंडेंट) के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था. उन्होंने कहा, ‘आजकल सम्मान की कमी है.’

Source:Thewire

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

error: Content is protected !! © KKC News