क्या है शारदा चिट फंड घोटाला जिस पर मचा है घमासान…राजीव कुमार का क्या था रोल?

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शारदा चिटफंड मामले को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस मामले को लेकर धरने पर बैठी हुई हैं। कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पूछताछ के लिए पहुंची CBI की टीम को कोलकाता पुलिस ने रविवार को हिरासत में ले लिया। जिसके बाद CBI और कोलकाता पुलिस के बीच विवाद शुरू हो गया है। मामला यहां तक पहुंच गया कि CBI को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने CBI से सबूत की मांग की है। आइये जानते हैं कि आखिर यह शारदा चिटफंड केस है क्या और इसके तार राजीव कुमार से कैसे जुड़े हुए हैं….

करीब 40 हजार करोड़ रुपए का घोटाला
दरअसल शारदा चिटफंड मामला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा घोटाला है। शारदा ग्रुप कंपनी की स्थापना 2008 में हुई थी। चार साल में इस कंपनी ने बंगाल, असम और ओडिशा में करीब 300 ऑफिस खोल लिए। इस दौरान ग्रुप ने करीब 4 बिलियन डॉलर (40 हजार करोड़) रुपए की कमाई की थी। यह ग्रुप अप्रैल 2013 में बंद हो गया था। शारदा ग्रुप पर आरोप है कि उसने करीब 1.7 मिलियन निवेशकों से पैसे लिए और उन्हें ऑफर दिया कि उनके दिए गए पैसों को 34 गुना कर वापस दिया जाएगा। हालांकि ऐसा हो न सका और कई निवेशकों ने सुसाइड कर लिया था। इसके बाद बंगाल सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक जांच कमिटी (SIT) बनाने का फैसला किया। करीब 1.7 मिलियन निवेशकों ने कमिटी को शारदा ग्रुप के खिलाफ शिकायत की। कमिटी ने अपनी जांच अगस्त 2013 में पूरी की। इस घोटाले में काफी बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने आए थे। बंगाल सरकार से कहा गया कि शारदा ग्रुप की संपत्ती को बेच कर निवेशकों के पैसे वापस किए जाएं।

TMC के दिग्गज नेता का नाम आया सामने
जांच कमिटी द्वारा घोटाला को उजागर करने के बाद बंगाल सरकार ने चार मेंबर की जुडिशियल जांच कमिटी गठित की। श्यामल कुमार सेन की अगुवाई में इस कमिटी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस शामिल थे। इस घोटाले में कई दिग्गज नेताओं को अरेस्ट किया गया। इसमें तृणमूल कांग्रेस से दो बार सांसद रहे कुणाल घोष और श्रीनजॉय बोस, बंगाल के पूर्व डीजीपी रजत मजुमदार, फुटबॉल क्लब के टॉप ऑफिशियल देबब्रता सरकार और बंगाल के परिवहन मंत्री को गिरफ्तार किया गया। वहीं फरवरी 2014 में शारदा ग्रुप के मालिक सुदिप्तो सेन को तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई। इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की बंगाल सरकार भी काफी आरोप लगे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने मामला CBI को सौंपा
इसके बाद भी निवेशकों के सुसाइड के कई मामले सामने आए। जिसपर यह मामला एक बार फिर ओपन हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने एक्शन लेते हुए मई 2014 में यह केस सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल, असम, ओडिशा और त्रिपुरा में चल रहे घोटाले की अच्छे तरीके से जांच करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने इन जगहों पर चल रहे पॉन्जी स्कीम की भी जांच करने को कहा। तब से लेकर अभी तक यह मामला जांच के अधीन हैं।

राजीव कुमार का क्या है रोल
शारदा घोटाले में बंगाल सरकार ने जिस SIT की टीम गठित की थी, राजीव कुमार लीड कर रहे थे। ऐसा कहा गया था कि जांच के दौरान काफी घोटाले हुए। राजीव कुमार पर कथित तौर पर यह आरोप लगे थे कि कुछ बड़े लोगों को बचाने के लिए जरूरी दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ की थी और सबूत को मिटा दिया था। इस मामले को लेकर CBI राजीव कुमार से पूछताछ करना चाहती है। इसको लेकर CBI ने अभी तक 80 चार्जशीट फाइल की है। इस केस में पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिंदबरम पर भी आरोप लगे थे। नलिनी पर आरोप था कि उन्होंने शारदा ग्रुप से 1.4 करोड़ रुपए मिले थे।

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