कोर्ट कचहरी अस्पताल के असीमित खर्चे और जनरेटिक दवाओं की दुकानों के खुलने में देरी पर विशेष
![](https://i0.wp.com/www.khabrokichaupal.com/wp-content/uploads/2018/12/Bhola-Mishra-Dainik-20181204_082550.jpg?fit=598%2C598&ssl=1)
??सुप्रभात-सम्पादकीय??
साथियों ! कहावत है कि आज कुछ बदलते दौर में जो कोर्ट कचहरी और बीमारी से बच जाय उससे बड़ा कोई सौभाग्यशाली कोई नहीं होता है क्योंकि दोनों जगहों पर खर्चे की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। कोर्ट कचहरी में जिस तरह खर्च कोई सीमा नहीं होती है उसी तरह अस्पताल में बीमारी पर कितना खर्च हो जायेगा इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट में जिस तरह वकील की फीस एवं अन्य खर्चों का कोई निर्धारण नहीं होता है उसी तरह डाक्टर की फीस एवं खर्चे का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है।अस्पतालों से सेवाभाव गायब होता जा रहा है और मरीज को डरा धमका कर चमड़ी उधेड़ने का दौर शुरू हो गया है। मरीज को मर जाने के बावजूद धन उगाही करने के लिये जिंदा होने की बात कहकर वेलटीनेटर आदि पर रखने का घिनौना धंधा शुरू हो गया है और ऐसी तमाम घटनाएं अबतक प्रकाश में आ चुकी हैं। मरीजों को हर तरह से निचोड़ने का दौर शुरू हो गया है और इतना ही नहीं बल्कि कमीशनखोरी के चक्कर में बिना जरूरत जांचें करवाकर जरूरत से ज्यादा तरह तरह की दवाइयां लिखी जाने लगी है। दवाओं में मूल्य के नाम जो खेल खेला जा रहा है उससे मरीज अपना इलाज ढंग से नहीं करवा पा रहा है क्योंकि दो रूपये की दवा पर चार से दस गुना अधिक मूल्य लिखे होते हैं। कुछ मेडिकल स्टोरों पर तो दस पांच प्रतिशत प्रिंट मूल्य में छूट दे दी जाती है लेकिन अधिकांश मेडिकल स्टोरों पर छपे मूल्य ही मरीज से लिये जाते हैं। दवाओं के आसमान छूते मूल्यों के चलते एक आम आदमी अपना इलाज नहीं करवा पाता है और कभी कभी असमय काल के गाल में समा जाता है।दवाओं की तरह ही बीमारी में काम आने वाले अन्य सामानों एवं उपकरणों के मनमाने मूल्य लिये जा रहे हैं। हालांकि की सरकार आम नागरिकों को सस्ती एवं मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्राथमिक सीएचसी जिला अस्पताल ले लेकर मेडिकल कालेज पीजीआई आदि अस्पताल तक चलाती है और अरबों खरबों रूपये खर्च करके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं अब तो सरकार स्वास्थ्य बीमा योजना के बाद अति महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना के तहत गरीब परिवारों को कठिन बीमारियों के इलाज के लिए पांच लाख रूपये खर्च करने जा रही है और इसकी शुरुआत भी कहने के लिये पिछले महीने हो गयी है। इतना ही नहीं दवाओं के अनियंत्रित मूल्यों को नियन्त्रित करने के लिये कम मूल्य वाली जनरेटिक दवाओं की दूकानें खोलने का फैसला भी कर चुकी है। सीएचसी स्तर पर सस्ते मूल्य वाली दवाओं की दूकानों को खोलने का फैसला सरकार काफी पहले ले चुकी है लेकिन सरकार की यह जन कल्याणकारी योजना घोषणा होने के कई महीने बीत जाने के बावजूद लागू नहीं हो सकी है। जनरेटिक दवाओं की शुरुआत वर्षों पहले राजस्थान से की गई थी जो देखते ही देखते देश दुनिया में लोकप्रिय हो गई और इसकी मांग हर तरफ से होने लगी फलस्वरूप सरकार ने इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय पिछले साल लिया था। सरकार की घोषणा के अनुरूप ग्रामीण स्तर की सीएचसी तक इस योजना को पहले चरण में मूर्तिरूप देने की योजना है। जिस तरह से सरकार की आयुष्मान योजना अबतक सुचारू रूप से धरातल पर नहीं उतर पाई है उसी तरह से जनरेटिक दवाओं की दूकानें सीएचसी स्तर पर नहीं खुल पाई हैं। जनरेटिक दवाओं की दूकानों के अभाव में गरीब लोगों को दो रूपये वाली दवा के बीस रूपये देने पड़ रहे हैं और तमाम लोग खर्चीला इलाज होने के कारण समुचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं।
भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।
![](https://i0.wp.com/www.khabrokichaupal.com/wp-content/uploads/2018/11/PicsArt_11-30-08.10.06.jpg?resize=100%2C100)