वाह से उत्तरप्रदेश पुलिस,अपराधी भी बन गये सिपाही

आजमगढ़। उत्तर प्रदेश पुलिस में गजब का खेल चल रहा है। अब अपराधी भी पुलिस में भर्ती होने लगे है। जी हां आजमगढ़ जिले में पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट की मानें तो लूट, चोरी, दहेज हत्या जैसे संगीन मामले के आरोपित 34 अभ्यर्थियों ने फर्जी शपथ पत्र के सहारे पुलिस विभाग में नौकरी हासिल कर ली। मामले का खुलासा होने के बाद 14 सिपाहियों की सेवा समाप्ति के लिए शासन और भर्ती बोर्ड को पत्र लिखा गया है
वर्ष 2015-16 में पुलिस विभाग में मेरिट के आधार पर सिपाहियों का चयन हुआ। वर्ष 2018 में आजमगढ़ जिले में अभ्यर्थियों के फिटनेस की जांच हुई जिसमें आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और बलिया के कुल 285 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। चयनित अभ्यर्थियों की जांच प्रक्रिया अभी चल ही रही थी कि जुलाई 2018 में इनकी आमद कराकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में प्रशिक्षण के लिए भेज दिया गया। इसी बीच भर्ती बोर्ड को शिकायते मिली कि कुछ अभ्यर्थी फर्जी शपथ पत्र के सहारे सिपाही बन बैठे है। जानकारी के बाद भर्ती बोर्ड ने पुलिस अधीक्षक को एक समिति का गठन कर छानबीन व थानों से सत्यापन कराने का निर्देश दिया
भर्ती बोर्ड के निर्देश के बाद पुलिस अधीक्षक रविशंकर छवि ने पुलिस अधीक्षक ग्रामीण नरेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में सात सदस्यीय सलाहकार टीम का गठन किया गया। जांच में यह पाया गया कि करीब 34 अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे आरक्षी की नौकरी प्राप्त कर ली है। थानों से आयी सत्यापन रिपोर्ट मिलने के बाद सलाहकार समिति ने 14 सिपाहियों की सेवा समाप्त करने के लिए शासन और भर्ती बोर्ड को पत्र लिखा है।
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण नरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि वर्ष 2015-16 में चयनित 34 अभ्यर्थियों के शपथ पत्र में खामियां उजागर हुई हैं। कुछ पर मुकदमे हैं तो कुछ पर अन्य मामले है। इसको लेकर उनको नोटिस दिया गया था। इसके जबाव में वे लोग हाईकोर्ट चले गये। हाईकोर्ट ने हमारे नोटिस को खारिज करके निर्देशित किया था कि सुप्रीम कोर्ट में अवतार सिंह के मामले के तहत इनको सुना जाय। उसी के तहत इन लोगों को सुनावाई का पूरा मौका दिया गया। सर्कुलर के तहत हमने 14 सिपाहियों को नौकरी से निकाला है। शेष के खिलाफ कार्रवाई जारी है।
