November 5, 2024

कृषि मंत्रालय ने माना- नकदी पर निर्भर रहने वाले 26 करोड़ किसानों पर नोटबंदी का बुरा असर पड़ा

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  • कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी के असर पर संसदीय समिति को सौंपी रिपोर्ट में यह बात कही
  • रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के कारण किसान बीज और उर्वरक नहीं खरीद सके
  • राहुल गांधी ने कहा- ये किसानों का दुर्भाग्य, जिसे अब कृषि मंत्रालय ने भी मान लिया

दिल्ली. नोटबंदी की वजह से किसानों को भारी मुश्किलें उठानी पड़ीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी के असर पर संसदीय समिति को सौंपी रिपोर्ट में यह बात मानी है। रिपोर्ट के मुताबिक दो साल पहले नोटबंदी की वजह से लाखों किसानों को बीज और उर्वरक खरीदने के लिए नकदी की किल्लत हो गई थी। जमींदारों को भी किसानों को भुगतान करने और बीज खरीदने के लिए परेशानी हुई थी। देश के 26 करोड़ किसान अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए नकदी पर ही निर्भर रहते हैं।

दो साल बाद कृषि मंत्रालय ने माना

सरकार ने 8 नवंबर 2016 को रात 12 बजे से नोटबंदी लागू की थी। इसके तहत 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि नोटबंदी ऐसे समय लागू हुई जब किसानों के लिए खरीफ की फसल बेचने और रबी की फसल बोने का वक्त होता है। इन दोनों के लिए लेन-देन नकदी में ही होता है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक बाजार में नकदी की कमी की वजह से नेशनल सीड कॉरपोरेशन का भी 1.38 लाख क्विंटल गेहूं का बीज नहीं बिक पाया था। गेहूं रबी के सीजन की प्रमुख फसल है। देश के 300 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी बुवाई होती है

नोटबंदी से फसलों, सब्जियों की कीमतें गिरी थीं: रिपोर्ट

कृषि मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने गेहूं के बीजों की खरीद के लिए पुराने नोटों में भुगतान करने की इजाजत दी थी। लेकिन, फिर भी खरीद तेज नहीं हो पाई। एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद सभी फसलों की कीमतें गिर गई थीं। सब्जियों और फलों के रेट पर इसका ज्यादा असर हुआ क्योंकि, उनके लिए कोई समर्थन मूल्य भी लागू नहीं होता।

राहुल ने कहा- किसानों का मजाक उड़ाते हैं मोदी

कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। उनका कहना है कि ‘नोटबंदी ने करोड़ों किसानों का जीवन नष्ट कर दिया है। अब उनके पास बीज-खाद खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा भी नहीं है। लेकिन, आज भी मोदी जी हमारे किसानों के दुर्भाग्य का मजाक उड़ाते हैं। अब उनका कृषि मंत्रालय भी कहता है, नोटबंदी से टूटी किसानों की कमर!’ मोदी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश में रैली में कहा था कि हमने भ्रष्टाचार खत्म करने और कालाधन पता लगाने के लिए नोटबंदी को एक कड़वी दवा के रूप में इस्तेमाल किया था।

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