नवरात्र नौवां दिन / मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से मिलती है ब्रह्मांड विजय प्राप्‍त करने की शक्ति

नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। उनको मां दुर्गा की 9वीं शक्‍त‍ि माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी पूरी व‍िध‍ि से उनकी साधना करता है उसे पूर्ण सृष्टि का ज्ञान प्राप्‍त होता है और उसमें ब्रह्मांड पर विजय प्राप्‍त करने की क्षमता आ जाती है।

माता सिद्धिदात्री

  1. देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से तमाम सिद्धियां प्राप्त की थीं।

    • इनकी कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का भी स्वरुप माना जाता है।
  2. माता सिद्धिदात्री की पूजन विधि

    सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर माता सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।

    • चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें।
    • उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
    • इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता सिद्धिदात्री सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
    • इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें।
    • इसके बाद प्रसाद वितरण कर कन्या पूजन करें। पूजन के बाद माता के ध्यान मंत्र का जाप करना शुभ फल देने वाला माना गया है।

    ध्यान मंत्र

  3. सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
    सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

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