अयोध्या जनपद बना प्रदेश का पहला सोलर सिटी,20 प्रतिशत बिजली उत्पादन से पर्यावरण संरक्षण को मदद

अयोध्या: अयोध्या ने सौर ऊर्जा में लंबी छलांग लगाई है। प्रदेश के सभी जिलों से वह सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की रेस में आगे है। सोलर सिटी के रूप में उसे नई पहचान मिलने जा रही है। जिले की कुल बिजली खपत का 20 प्रतिशत हिस्सा सोलर प्लांट से तैयार होने लगा है। जिले की कुल खपत 1250 मिलियन यूनिट है जिसके सापेक्ष 250 मिलियन यूनिट का उत्पादन एनटीपीसी के सोलर प्लांट से हो रहा है। प्रदेश में पहले सोलर सिटी के रूप में उसे पहचान दिलाने के लिए शासन के माध्यम से प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। इंतजार सिर्फ उसकी मंजूरी का है। चालू वित्तीय वर्ष में 50 हजार घरों को पीएम सूर्य योजना से आच्छादित करने का लक्ष्य है। लक्ष्य पूरा होने पर खपत का करीब एक चौथाई सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की संभावना है।
सोलर प्लांट से तैयार बिजली ग्रिड के माध्यम से दर्शननगर उपकेंद्र जाती है, वहां से अयोध्या जिले को। यह 40 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट रामपुर हलवारा में स्थापित किया गया है। जिला प्रशासन ने करीब 165 हेक्टेयर सार्वजनिक भूमि 30 वर्ष की लीज पर निश्शुल्क विद्युत उत्पादन के लिए उपलब्ध करायी है। सरयू नदी के अयोध्या-बिल्वहरिघाट तटबंध के किनारे इसकी स्थापना की गयी है। लगभग एक वर्ष से बिजली उत्पादन चल रहा है। सोलर प्लांट का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को मिल रहा है, ऐसा प्लांट के इंजीनियरों का दावा है। उनके अनुसार जिले की खपत की 20 प्रतिशत बिजली तैयार करने में जो कोयला जलता, उसके इस्तेमाल न होने से पर्यावरण संरक्षित करना आसान होता जा रहा है जो कोयले से उत्पादित बिजली के लिए आसमान में फैलने वाले उसके धुएं से पर्यावरण प्रभावित होता था। पीएम सूर्य योजना इससे अलग है। महंगी बिजली के चलते लोगों का रुझान पीएम सूर्य योजना की और बढा है। बढ़ती मांग के चलते बड़ी-बड़ी कंपनियों के एक -दो नहीं 20 से अधिक वेंडर लगे हैं। ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में सोलर पैनल पहले ही लगाया जा चुका है। बड़े-बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान, शिक्षण संस्थायें व अन्य प्रतिष्ठान इसमें शामिल हैं। सोलर पैनल से उत्पादित बिजली से उनके बिजली बिल की कीमत घटी है। यह सभी सोलर पैनल ग्रिड से जुड़े हैं। उपकेंद्र पर उनसे उत्पादित बिजली का हिसाब किताब रहता है जो ग्रिड से सीधे उन तक पहुंचती है।
नेडा के परियोजना अधिकारी प्रवीणनाथ पांडेय 31 मई को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जिला प्रशासन सोलर सिटी व पीएम सूर्य योजना में उनके योगदान के चलते उन्हें सेवा विस्तार दिलाना चाहता है जिससे सोलर सिटी के रूप में अयोध्या को इतनी ऊंचाई दिलायी जा सके जिससे प्रदेश के अन्य जिलों के लिए उस सर्वोच्चता को स्पर्श करना आसान न हो। तीन किलोवाट का सोलर पैनल का प्लांट लगाने पर प्रति दिन 12 से 15 यूनिट बिजली उत्पादित होती है जो सामान्य परिवार के लिए गर्मी व जाड़े दोनों सीजन में पर्याप्त है। वेंडर शिवम विश्वकर्मा के अनुसार एक किलोवाट से तीन किलोवाट तक के सोलर प्लांट लोगों की पसंद है। जिस स्थल पर सोलर पैनल लगाना होता है पहले उसकी जिओ टैगिंग की जाती है। भारत सरकार अनुदान देती है। बैंक से ऋण की सुविधा भी है जिससे सोलर पैनल प्लांट को लोगों के घरों की छत तक आसानी से पहुंचाया जा सके। शिवम के अनुसार आम जनता का बढ़ते बिजली बिल के चलते रुझान इसकी और बढ़ा है। बिजली बिल में अगर कमी आई तो शहर से लेकर गांव तक लोगों की छत पर सोलर पैनल ही नजर आएंगे। अभी पीएम सूर्य योजना प्रारंभिक स्तर पर है। वहीं नगर निगम क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सोलर लाइटें लगाई गई हैं। ये लाइटें पार्क व अन्य प्रमुख स्थलों पर हैं। बहुत सारी सजावटी लाइटें लगायी गई हैं। इनसे भी बिजली खपत प्रभावित होना स्वाभाविक है। गुप्तारघाट से लेकर नयाघाट- अयोध्या बंधा तक ये सैकड़ों की संख्या में हैं।किसानों के लिए पीएम किसान योजना कई वर्षों से संचालित है। यह भी सोलर पैनल पर आधारित है। दिक्कत उसमें यह है कि तीन हार्स पावर का लक्ष्य सबसे अधिक होता है। पांच व 10 हार्स पावर का कम। किसानों को इसके लिए आनलाइन आवेदन करना पड़ता है। तीन हार्सपावर किसानों के लिए नीचे से पानी खींचने के लिए ज्यादा लाभदायक नहीं है। पांच व 10 हार्स पावर का सोलर पैनल प्लांट का लक्ष्य कम होने से वे पहले आओ-पहले पाओ से अधिकतर पांच हार्स पावर का सोलर प्लांट लगवाने वाले किसान इससे बाहर हो जाते हैं। मो. सिराज का कहना है कि सिंचाई के लिए बिजली जरूरी है। सोलर प्लांट विकल्प के रूप में है।
