कितना मजबूत होगा सपनों का घर..? जब भूसे से पकेगी ईंट

भट्ठा संचालक कोयले के स्थान पर तूड़ी व भूंसे से पका रहे ईंट,लागत कम मुनाफा ज्यादा के चक्कर में भट्टा संचालक कर रहे ये खेल
मवई(अयोध्या) ! महंगाई की मार झेल रहे आम गरीब लोगों के लिए मकान बनाना तो यूं ही सपना जैसा लग रहा है।यदि कोई अपने सीमित संसाधनों से मकान बनाने की बात सोचता भी है तो ईंट की क्वालिटी देखकर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।जो लोग मकान बना भी रहे है,उसे तूड़ी व भूंसे से पकी हुई ईंट उनके आशियानों को खोखला कर रही है।बताते चले कि एक साल कोयले का दाम क्या बढ़ गया..? अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए मवई व रुदौली तहसील क्षेत्र में लगभग 40-45 ईंट भट्ठा है।कुछ को यदि छोड़ दिया जाय तो अधिकतम भट्टा संचालकों ने ईंटो को पकाने के लिए नए तरीके को ईजाद कर लिया।ईंटो को तूड़ी व भूंसे से पकाना शुरु कर दिया।जो कोयले की अपेक्षा काफी सस्ता भी है। यह बात दीगर है कि भट्टा संचालकों ने आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है।तूड़ी व भूसा से पकी ईंट मकान को वह मजबूती प्रदान नहीं कर रही है जो कोयला से पकी ईंट करती थी।पटरंगा मंडी में काम करने वाले विजय कुमार अशोक कुमार बताते है कि इस समय मवई क्षेत्र में तूड़ी भूसा से पकी ईंट जो आ रही है, वह भट्टा से घर लाते समय 10 फीसद तक तो चढ़ाने-उतारने के समय से ही टूट जाती है। और इससे ज्यादा ईंट दीवार तक पहुंचने में टूट जाती है। इसके बाद जब पानी से तराई की जाती है, तो बहुत सी ईंटे हाथ लगाते ही टूट जाती हैं। हैरत की बात तो यह है कि मकान बनने के कुछ समय बाद ही दीवालों में नमी आ जाती है और लोना लगना शुरू हो जाता है। इससे मकान की उम्र कुछ ही वर्ष में समाप्त हो जाती है।
नाम रुपये प्रति ट्राली
पीला ईंट – 6500-7000
अव्वल – 13000-14000
मीठा अव्वल – 11000-12000
अद्धा अव्वल – 6000-7000
अद्धा पीला – 4000-4500
“जिले में 250 के करीब ईंट भट्ठे है।जिसमें रबड़ आदि से ईंट न पकाने के लिए निर्देश दिए गए है।कोयला कृषि अवशेष व तूड़ी के प्रयोग पर कोई रोक नही है।
आर0बी0 सिंह
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी
