अयोध्या:चौदह कोसी परिक्रमा पथ पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

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चौदह कोसी परिक्रमा पथ पर उमड़ा भक्तों का रेला, सुरक्षा सख्त

चौदहकोसी परिक्रमा शुरू होने से पहले ही आस्था के पथ पर उतरने के लिए भक्तों का उत्साह हिलोर ले रहा है। रविवार रात में 1 बजकर 56 मिनट पर परिक्रमा शुरू करने का शुभ मुहूर्त है।

मगर देर शाम से ही भक्तों का हुजूम उमड़ने लगा है। इस बार राममंदिर निर्माण के बीच पहली परिक्रमा यात्रा करने को लेकर अयोध्यावासियों में खासा उत्साह है। इसी के साथ सुबह से ही मजिस्ट्रेटों के साथ चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस फोर्स कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने में जूझती नजर आई। अयोध्या नगर निगम क्षेत्र के बाहर से आने वाली भक्तों की भीड़ को 13 बैरियरों पर रोककर लौटाना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

परिक्रमा मुहूर्त से पहले ही तमाम भक्त परिक्रमा पथ पर अपनी सुविधा के अनुसार अलग-अगल स्थान पर आ डटे। मार्ग पर राम चरित मानस की चौपाइयों के साथ जय श्रीराम, राम-राम और सीताराम के स्वर ध्वनित होते दिखे।
गगनभेदी जयघोष की सामूहिक स्वरों से चौहदकोसी परिक्रमा पथ गुंजायमान होता दिखा। अयोध्या, दर्शननगर भीखाशपुर, देवकाली, जनौरा, नाका हनुमानगढ़ी, मोदहा, सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर, सआदतगंज, अफीम कोठी आदि स्थानों से श्रद्धालुओं ने पूरे भक्ति की रौ में परिक्रमा करनी शुरू कर दी।

श्रद्धालुओं की सेवा के लिए जगह-जगह जगह-जगह सेवा शिविर भी लगे थे। 17 स्थानों पर कोविड हेल्प डेस्क/चिकित्सा शिविर लगाकर कोविड जांच उपकरण समेत डॉक्टरों की टीम इलाज के संसाधनों से लैश है। जलपान से लेकर इंतजाम भी परिक्रमा पथ पर खूब दिखे।

आस्था के पथ पर चल रहे श्रद्धालुओं की सेवा करने के लिए तमाम संस्थाएं प्रशासन से अनुमति लेकर डटी हुई है। रामनगरी की तीन परिक्रमाएं सदियों से आस्था का केंद्र रही हैं। इसमें अयोध्या की सांस्कृतिक परिधि की 84 कोसी परिक्रमा, आध्यात्मिक परिधि की 14 कोसी परिक्रमा और धार्मिक परिधि की पंच कोसी परिक्रमा शामिल है।

इस बार रविवार रात 1 बजकर 56 मिनट पर परिक्रमा शुरू करने का शुभ मुहूर्त है, लेकिन प्रशासन ने कोरोना की सेकेंड वेब को देखते हुए भक्तों में इसका संक्रमण न फैले, इसलिए सख्त गाइडलाइन तय की है।

कमिश्नर एमपी अग्रवाल, डीएम अनुज कुमार था, आईजी डॉ. संजीव गुप्ता, डीआईजी दीपक कुमार ने सख्त हिदायत दी थी कि अयोध्या नगर निगम के वार्डों में रहने वाले लोगों के अलावा किसी भी बाहरी को इस बार परिक्रमा में हिस्सा न लेने दें।

संत-धर्माचार्य कहते हैं कि 14 कोसी व पंचकोसी परिक्रमा करने का खासा महत्व है। लोग कम से कम पांच बार परिक्रमाजरूर करते हैं। इस बार कोरोना की वजह से ऐसे लाखों भक्तों का तारतम्य टूट रहा है। लेकिन आपदाकाल में सबको सतर्क रहना जरूरी है। भक्त अगली बार फिर से अपना क्रम बरकरार रख सकते हैं।

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