अयोध्या : पर्यावरण और प्रकृति के ह्रास से सामाजिक विकृतियां लेती जन्म-साध्वी ऋचा मिश्रा
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रामकथा के पांचवे दिन अंतराष्ट्रीय कथा प्रवरिका ने श्रद्धालुओं से पर्यावरण संरक्षित करने का किया आवाहन,शारदीय नवरात्र को लेकर गायत्रीनगर पटरंगा में चल रही है दस दिवसीय राम कथा।
पटरंगा(अयोध्या) ! प्रकृति के बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं है।हवा,पानी,भोजन,धूप सब कुछ हमें प्रकृति से ही मिलता है।शायद इसीलिए प्रकृति को कुछ लोग ईश्वर के रूप में भी देखते हैं।प्रकृति स्वयंभू है,सनातन है,शाश्वत है,मनुष्य स्वयं इस विहंगम प्रकृति का अंग है।प्रकृति का सम्मत विकास ही मानव संस्कृति है।हमने शायद इस शाश्वत सत्य को भुला दिया है।जिसके परिणाम हमारे सामने आ रहे हैं।इसमें कोई दो राय नहीं है कि पर्यावरण और प्रकृति के ह्रास से सामाजिक विकृतियां जन्म लेती हैं।इसलिए हम सभी को जीवन में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए।ये बात विकासखंड मवई के गायत्रीनगर में चल रही दस दिवसीय संगीतमयी रामकथा के पांचवे दिन अंतराष्ट्रीय कथा प्रवरिका साध्वी ऋचा मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कही।मानस मर्मज्ञनी साध्वी ऋचा मिश्रा ने राम वनगमन व प्राकृतिक छटाओं से भरपूर वन में भगवान राम लक्ष्मण व माता सीता के जीवन सहित सीता हरण व राम-रावण के युद्ध के दौरान प्रकृति व वन्यजीवों के सहयोग व सौंदर्य का विस्तार पूर्वक बताया।इस दौरान कथा प्रवरिका ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण आम तौर पर पेड़ों और हरियाली के संरक्षण को दर्शाता है लेकिन व्यापक अर्थों में इसका तात्पर्य पेड़ों, पौधों, पशुओं, पक्षियों और पूरे ग्रह की सुरक्षा से है।वास्तव में पर्यावरण और जीवन के बीच एक अनूठा संबंध है।पर्यावरण संरक्षण मानव जाति के भविष्य और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।इन्होंने लोगों की सोंच पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन ने संपूर्ण मानव जाति को प्रभावित किया है। इस समस्या को दूर करने के लिए पूरी दुनिया को एक होना चाहिए।इसके लिए जरूरी है प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में कम से कम एक पौध जरूर लगाना चाहिए।इस अवसर पर कार्यक्रम संरक्षक राम नरेश तिवारी ब्लॉक प्रमुख राजीव तिवारी आचार्य ओम प्रकाश मिश्र डा0 शिव कुमार सोनी विजय मिश्र बृजेश मिश्र रमापति गुप्त श्यामजी गुप्त आशीष तिवारी आदि लोग उपस्थित रहे।
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