बाराबंकी-अवमानना पर नायब तहसीलदार व कोतवाल को सजा,प्रभारी जिला जज ने आदेश पर लगाई रोक
सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत ने स्थगन आदेश का अनुपालन न होने पर सुनाया था आदेश
बाराबंकी। कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद तहसील प्रशासन द्वारा दीवार ध्वस्तीकरण किए जाने के मामले में सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट संख्या 13 खान जीशान मसूद ने शहर कोतवाल व नायब तहसीलदार को अवमानना का दोषी पाया। कोर्ट ने कोतवाल को तीन दिन और नयाब तहसीलदार को तीन माह का सिविल कारावास की सजा सुनाई है।हालांकि प्रभारी जिला जज ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
बताते चले कि शहर कोतवाली क्षेत्र के आलापुर मोहल्ले में मोहम्मद आलम व मुबीन के बीच जमीन को लेकर विवाद था। इसे लेकर मोहम्मद आलम द्वारा कोर्ट की शरण ली गई थी। जिस पर सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत ने बीते सात जुलाई को मोहम्मद आलम के पक्ष में स्थगन आदेश देते हुए किसी प्रकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाई गई थी।
मोहम्मद आलम ने दाखिल किया था अवमानना का वाद
इस मामले को लेकर 12 अगस्त को मोहम्मद आलम द्वारा सिविल जज की अदालत में अवमानना का वाद दाखिल किया गया था। जिसमें कहा गया था कि कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद पांच अगस्त को विपक्षी के साथ पुलिस आई और निर्माण कार्य को रोक लगा दिया। इसके बाद छह अगस्त को विपक्षी के साथ नायब तहसीलदार केशव प्रताप सिंह व लेखपाल प्रहलाद नरायण तिवारी आए। इन लोगों द्वारा कोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद विवादित भूमि की नापजोख करने लगे।आरोप है कि जब स्थगन आदेश की कापी दिखाई गई तो पुलिसकर्मियों ने आदेश की कापी को फाड़ते हुए फेंक दिया और कहा कि ऐसे आदेश हम रोज देखते हैं। इन लोगों द्वारा दीवार गिराकर विपक्षियों के खूंटे गड़वा दिए गए।
वारण्ट हुआ था जारी
कोर्ट के आदेश के अवमानना के मामले में सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट संख्या 13 खान जीशान मसूद ने सोमवार को आदेश की तिथि लगाई थी। इस मामले में सबसे पहले शहर कोतवाल अमर सिंह आए। जिन्हें सिविल जज ने न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया। जिसे सुनते ही हड़कम्प मच गया। नायब तहसीलदार काफी देर बाद जब पहुंचे तो उन्हें भी अभिरक्षा में लेते हुए कटघरे में खड़ा करवा दिया। इसके बाद सिविल जज ने आदेश जारी किया। जिसमें उन्होंने अवमानना का दोषी पाए जाने पर शहर कोतवाल अमर सिंह को तीन दिन की सिविल कारावास की सजा सुनाई। पुलिस अधिकारी होने के कारण उन्हें उच्च कोटि में रखने का आदेश दिया। इसी प्रकार अभिरक्षा में लिए गए नायब तहसीलदार केशव प्रसाद को भी अवमानना का दोष सिद्ध पाए जाने पर उन्हें एक माह का सिविल कारावास की सजा सुनाई।इसके बाद कोतवाल व नायब तहसीलदार को अभिरक्षा में कचहरी हवालात भेज दिया गया। इतना ही नहीं सिविल जज ने जेल अधीक्षक को भी पत्र लिख दिया था।
प्रभारी जिला जज ने आदेश पर रोक लगाई
बाराबंकी। सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश पर पुलिस व प्रशासनिक अमले में हड़कम्प मच गया। शासकीय अधिवक्ताओं से अधिकारियों ने विधिक राय ली। इसके बाद प्रभारी जिला जज नित्यानंद श्रीनेत्र की कोर्ट में सिविल जज के आदेश को लेकर एक अपील डाली गई। शासकीय अधिवक्ताओं ने अपना तर्क न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया। इसके बाद प्रभारी जिला जज द्वारा सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश पर रोक लगाई। उक्त मामले में अगली सुनवाई 27 सितम्बर को किए जाने की तिथि भी लगा दी। प्रभारी जिला जज के आदेश के बाद नायब तहसीलदार व शहर कोतवाल जेल जाने से बच गए।
काफी विनम्र व ईमानदार माने जाते है कोतवाल अमरसिंह
पुलिस कर्मियों में कोतवाल अमर सिंह काफी विनम्र व ईमानदार माने जाते है।इससे पहले ये अयोध्या जनपद के मवई थाना व नगर कोतवाल की जिम्मेदारी संभाली थी।जिनके कार्य व व्यवहार की प्रशंसा करते हुए अफसरों ने इन्हें कई बार सम्मानित भी किया।ऐसे कोतवाल पर बाराबंकी सिविल जज द्वारा सजा सुनाए जाते ही बाराबंकी के अलावा अयोध्या जिले के पुलिस कर्मियों में हड़कंप मच गया।लेकिन देर शाम सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश पर प्रभारी जिला जज ने रोक लगा दी।और सुनवाई के लिए अगली तिथि की घोषणा की।तब जाकर पुलिस विभाग के लोगों ने राहत की सांस ली।