दिल्ली हिंसा:लापता बच्चे और पत्नी की तलाश, सीवर के पास जिंदगी गुजारने को मजबूर मोइनुद्दीन

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दिल्ली में भड़की हिंसा के बाद कई लोग बेघर हो गए। कईयों की दुकानों, गाड़ियों, घरों में आग लगा दी गई। कई लोगों बेघर हो गए। कई के परिवार उन से अलग हो गए। इस हिंसा ने लोगों से उनके अपने छीन लिए। ऐसा ही कुछ न्यू मुस्तफाबाद इलाके के रिक्शा चालक मोइनुद्दीन के साथ भी हुआ। अपनी पत्नी और चार बच्चों की तलाश में मोइनुद्दीन सड़क किनारे बैठ हर आने-जाने वाले से उनके बारे में पूछता है। इलाके में भड़की हिंसा में दंगाइयों ने उसके घर और रिक्शा को आग लगा दी।

इस हिंसा में उनकी पत्नी और चार बच्चे लापता हो गए। घर को आग के हवाले कर दिया गया। जिस रिक्शे की मदद से वो अपना पेट पालता था उसे भी दंगाईयों ने आग में झोंक दिया।

डबडबाई आंखों से रास्ते से गुजरने वाले लोगों की ओर निहारता मोइनुद्दीन इस आस से गली की ओर देखता है कि शायद उसका परिवार लौट आए। मोइनुद्दीन ने कहा कि वो वो अपनी कहानी पुलिस को भी बता चुका है, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। हर कोई बस कहता है कि स्थिति सामान्य होने के बाद वो देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। उसने कहा कि जिस दिन इलाके में हिंसा भड़की थी उसी दिन में घर में 2,000 रुपए का राशन लाया था, अब सब कुछ खत्म हो गया। आज खाने तक के लिए मोहताज है। घर से बेघर सड़क किनारे रात गुजारने को मजबूर मोइनुद्दीन कहता है कि उसे उम्मीद है कि उसे उसका परिवार मिल जाएगा। वहीं उसकी मदद के लिए आगे आए एक दुकानदार ने कहा कि वो 2013 से उसे जानते हैं और उसकी मदद करेंगे। वो उसकी दुकान के बाहर सोता है। हम उसकी देखभाल करेंगे। आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है।वहीं जिनके घर और दुकाने जाल दी गई उसे 5 लाख रुपए देने का वादा किया है।

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