अयोध्या संसदीय सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर तेज नारायण पांडे टिकट की दौड़ में सबसे आगे
अयोध्या. राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर कई दशक से देश की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाली और हमेशा सुर्खियों में रहने वाली धार्मिक नगरी अयोध्या संसदीय सीट पर 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है। प्रदेश के 2 बड़े राजनीतिक दल बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन के बाद अब इस सीट पर एक ही प्रत्याशी उतारे जाने की स्थिति बनी है। पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक अयोध्या संसदीय सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में और पड़ोसी जनपद अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर की सीट बसपा के हिस्से में जाती हुई दिखाई दे रही है। वहीं सीटों के निर्धारण के साथ ही प्रत्याशियों के चेहरे भी अब सामने आ रहे हैं।
रेस में ये कैंडीडेट सबसे आगे
अयोध्या संसदीय सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सबसे आगे समाजवादी पार्टी की सरकार में वन राज्य मंत्री रहे अयोध्या के पूर्व विधायक तेज नारायण पांडे का नाम इस दौड़ में सबसे आगे है। वहीं सपा के विकल्प में फैजाबाद के पूर्व सांसद स्वर्गीय मित्रसेन यादव के बेटे और बसपा सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री रह चुके आनंद सेन यादव का नाम भी तेजी से चल रहा है। हालांकि सवर्ण वोट बैंक को साधते हुए पवन पांडे अभी तक टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं। समाजवादी पार्टी बहुत कुछ प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के टिकट निर्धारण के बाद भी तय कर सकती है।
कांग्रेस इस चेहरे पर लगाएगी दांव
इसके अलावा तीसरे बड़े राजनीतिक दल के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और फैजाबाद के पूर्व सांसद रहे निर्मल खत्री कांग्रेस के लिए एकमात्र चेहरा है। दिलचस्प है कि पूर्व में जहां सपा-बसपा कांग्रेस की तरफ से टिकट पाने वाले प्रत्याशियों की होड़ मची थी वही अब सपा-बसपा गठबंधन के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। जाहिर तौर पर 2019 में बहुत कुछ बदला हुआ दिखाई देने वाला है।