चार साल में प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा पर खर्च हुए 2021 करोड़ रुपए

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नई दिल्ली। 2014 में सरकार बनने के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों पर 2021 करोड़ रुपए खर्च हुए। इनमें चार्टर्ड फ्लाइट के किराए से लेकर विमानों के रखरखाव और

प्रधानमंत्री को मिलने वाली हॉटलाइन सु‌विधा का खर्च भी शामिल है। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने शुक्रवार को राज्यसभा में इसकी जानकारी दी।

वीके सिंह ने उन 10 देशों के बारे में भी बताया, जहां से मोदी के दौरों के बाद भारत को मिलने वाला विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) बढ़ा है। पिछले चार सालों में यह 2014 के 3093 करोड़ डॉलर (2.16 लाख करोड़ रुपए) के मुकाबले 4347 करोड़ डॉलर (3.03 लाख करोड़ रु.) पर पहुंच गया।

दरअसल, विदेश राज्यमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल और मोदी के साढ़े चार साल के विदेशी यात्राओं के खर्च की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि यूपीए-2 के शासन के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विदेशी दौरों पर 1346 करोड़ का खर्च आया था।

जून 2014 से दिसंबर 2018 तक विदेशी दौरों के लिए प्रधानमंत्री के चार्टर्ड विमानों पर 429.25 करोड़ खर्च आया। हॉटलाइन सुविधाओं पर 9.11 करोड़ रु खर्च हुए।

जानकारी के मुताबिक, मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने 48 विदेश यात्राओं में 55 देशों का दौरा किया। इनमें कई देशों की एक से ज्यादा यात्राएं शामिल हैं।

2015-16 मेें सबसे ज्यादा रहा यात्राओं का खर्च

आंकड़ों के मुताबिक, 2014-15 में विदेश यात्राओं के लिए चार्टर्ड विमानों पर 93.76 करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि 2015-16 में यह 117.89 करोड़ रु. रहा।

2016-17 में यात्राओं के लिए चार्टर्ड विमान पर 76.27 करोड़ और 2017-18 में 99.32 करोड़ रुपए रहा। इस साल 3 दिसंबर तक विदेशी यात्राओं के लिए विमानों पर 42.01 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

योजनाओं के प्रचार में खर्च हुए 5246 करोड़ रुपए

दूसरी तरफ पिछले साढ़े चार सालों में सरकारी योजनाओं के प्रचार में एनडीए सरकार ने 5246 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। सूचना-प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लोकसभा में यह जानकारी दी।

सरकार ने साल 2014 से लेकर 7 दिसंबर 2018 तक के आंकड़े जारी किए। राठौड़ ने बताया कि सबसे ज्यादा 2313 करोड़ रुपए इलेक्ट्रानिक/ऑडियो-विजुअल मीडिया के जरिए विज्ञापन में खर्च किए गए।

वहीं 2282 करोड़ रुपए प्रिंट मीडिया में विज्ञापन के लिए खर्च हुए। इसी तरह 651 करोड़ रुपए आउटडोर पब्लिसिटी के लिए खर्च किए।

राठौड़ से पूछा गया कि क्या सरकार ने योजनाओं के बारे में जागरूकता के प्रभाव को मापने के लिए कोई सर्वेक्षण किया है? इस पर उन्होंने बताया कि सरकार के कहने पर बीओसी विज्ञापन के प्रभाव का सर्वेक्षण करता है।

हालांकि, पिछले चार साल में सरकार ने इसका आदेश नहीं दिया। गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल में योजनाओं के प्रचार पर 5040 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

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