अयोध्या : दहलीज के अंदर रहकर इन बेटियों ने खोला आमदनी का द्वार,संडवा गांव की बेटी सबीना ने शुरू की थी पहल

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कोरोना काल मे समाजसेवा के साथ साथ अपनी आय के लिए तैयार कर रही मास्क,मवई ब्लॉक के संडवा गांव की रहने वाली बेटी सबीना ने शुरू की थी पहल

मवई(सयोध्या) ! वैश्विक महामारी के इस संकटकाल में यूं तो हर व्यक्ति अपने अपने तरीके से किसी ना किसी तरह जरूरतमंद की मदद कर एकजुटता के साथ देश के जिम्मेदार नागरिक की भूमिका निभाते हुए सहयोग कर रहा है लेकिन इस दौर में ग्रामीण क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की बेटियां भी इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।इसी कड़ी में समाज के तमाम बन्धनों से ऊपर उठकर ऐसी ही बेटियां मवई क्षेत्र के संडवा गांव की है। जो दिनभर अपने समूह के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ इस जंग सामूहिक रूप से उतरी है। मवई के संडवा गांव में स्वयं सहायता समूह की 18 महिलाएं प्रतिदिन 500 से 600 मास्क रोजाना तैयार करती है। इस समूह की अध्यक्षा शबीना बताती है कि मास्क बनाने का काम ये जनता कर्फ्यू के तीसरे दिन से ही कर रही है। इतना ही नही जरूरत मन्दो व कोरोना योद्धाओं तक ये खुद मुफ्त में मास्क लेकर जाती है तथा लोगो को इसके प्रयोग व कोरोना महामारी के बचाव के प्रति जागरुक भी करती है। आगे शबीना बताती है कि बीते दिनों रमजान के चलते रोजा भी चल रहा था तमाम गृह कार्य व इबादत करने के बाद पूरे दिन वो अपनी सखी टीम के साथ मास्क सिलने का कार्य करती रही।

सेवा के साथ आर्थिक जरूरत भी हो रही है पूरी

25 वर्षीय शबीना बताती है कि इन दिनों मनरेगा का काम चल रहा तो श्रमिकों के लिए ग्राम प्रधान मास्क यही से ले जाते है।अन्य ऑर्डर भी मिल रहे है। इतना ही नही जरूरत मन्दो को मुफ्त में भी मास्क दिया जाता है। 12000 मास्क का जिला विकास भवन से भी ऑर्डर मिला है। इसी तरह अन्य जगहों से मांग आ रही है। दिनभर कार्य करते है जरूरत पड़ने पर रात को भी मास्क बनाने का काम किया जाता है। जिससे आर्थिक आमदनी के साथ साथ सेवा भी हो जाती है।

आठ बार पुरुस्कृत हो चुकी है शबीना

स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छ्ता ग्राही के पुरस्कार से 3 बार सम्मनित की जा चुकी है। इतना ही नही स्वयं सहायता समूह में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हुई है। कम उम्र में सेवा भाव के हेतु पूरी लगन से जुटी शबीना के परिवार में माँ के साथ एक बड़ी बहन भी है जो पूरी तन्मयता से उनका हाथ बंटवाती है।इनके इस कार्य मे गांव की नसरीन जहाँ नादिरा बानो समीमा खातून अनीसा बानो व किशोरी समूह से।जैनब बानो शहर बानो महक समसेर बुसरा खातून आदि बेटियां साथ देती है।

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