February 12, 2025

पिछड़े वर्ग के मतदाता तय करेंगे अयोध्या लोकसभा सीट का नतीजा

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अयोध्या. साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद देशभर में सियासी दलों ने 2019 के महोत्सव में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जी तोड़ मेहनत शुरू कर दी है। हर जिले में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है। सत्तारूढ़ दल अपनी उपलब्धियां गिना कर एक बार फिर से वापसी की मांग कर रहा है। वहीं विपक्षी दल बीते 5 सालों में कोई काम ना होने का आरोप लगाकर सत्ता परिवर्तन की गुहार लगा रहा है। प्रदेश की सियासत में बड़ा किरदार निभाने वाली अयोध्या संसदीय सीट पर इस बार लड़ाई रोचक हो गई है।

कितने मतदाता कितने पोलिंग बूथ

जिले की कुल जनसंख्या 278 0531, कुल मतदाताओं की संख्या 177 1395, महिला मतदाताओं की संख्या 822435, पुरुष मतदाताओं की संख्या 948869, जिले में कुल बनाए गए मतदान केंद्र 1128, जनपद में शहरी मतदान केंद्र 7 8, जनपद में ग्रामीण मतदान केंद्र 1050, शहरी मतदेय स्थल 1818, ग्रामीण मतदेय स्थल 149 बनाये गए हैं।

क्या हैं सियासी समीकरण

करीब पौने तीन लाख जनसंख्या वाले इस जिले में लगभग पौने दो लाख पिछले वर्ग से मतदाता है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग 95000 और महिला मतदाताओं की संख्या 82000 है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब पौने दो लाख मतदाता विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। देश की सियासत में अहम किरदार निभाने वाला उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश की अयोध्या संसदीय सीट पर भी लड़ाई बेहद रोचक इसलिए हो गई है ,क्योंकि सपा बसपा गठबंधन द्वारा घोषित उम्मीदवार दलित और पिछड़े वोटों के अलावा अल्पसंख्यक वोट बैंक साथ लेकर एनडीए गठबंधन को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। वहीं प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में मौजूदगी एनडीए गठबंधन के लिए समस्या बन सकती है। ऐसे में सत्ता के विपक्ष में मतदान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। हालांकि बीते चुनावी नतीजों के अलावा अयोध्या की सरजमी से भाजपा के पक्ष में बहने वाली हवा का फायदा जरूर भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा।

क्या हैं जातीय समीकरण

इस बार के चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट 54 संख्या पर 6 मई को मतदान होना है। जातीय समीकरण के मुताबिक़ फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में पिछड़ी जाति के सर्वाधिक मतदाता हैं जिसके बाद दलित और फिर सवर्ण मतदाता हैं। हर बार के चुनावी नतीजों में पिछड़े और दलित वोटरों ने निर्णायक की भूमिका निभायी है ,इसलिए हर राजनैतिक दल की निगाह इसी वोट बैंक पर है। एक बड़ी वजह ये भी है कि सपा बसपा गठबंधन इस सीट पर अपनी जीत के दावे को मजबूत बता रहा है।

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