मुखबिरी तंत्र को नजरअंदाज करना पुलिस को पड़ा भारी, विकास दुबे ने ‘प्यादे’ से दी मात!

मुखबिरी तंत्र को नजरअंदाज करना पुलिस को पड़ा भारी, विकास दुबे ने ‘प्यादे’ से दी मात!
रिपोर्ट-सुमित शुक्ला
कानपुर।2 जुलाई की आधी रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के कानपुर स्थित बिकरु गांव में एक खतरनाक बिसात बिछी पुलिस और विकास दुबे के बीच दोनों अपनी अपनी चाल चल रहे थे। लेकिन इस खूनी खेल में यूपी की तेज तर्रार पुलिस को बहुत बड़ी मात मिली विकास दुबे ने उसी मोहरे से मात दी जिसपर कभी पुलिस को सबसे ज्यादा भरोसा हुआ करता था। मुखबिरी को पिछले दो दशकों में पुलिस ने धीरे- धीरे तिलांजलि दे दी और अपराधियों ने इसे अपना लिया।इस घटना के बाद ये चर्चा आम है कि विकास दुबे को इस बात की समय रहते सटीक जानकारी मिल गयी थी कि पुलिस कब और कितने जोर से उसके ऊपर धावा बोलने आ रही है। उसने मोर्चा लेने की सारी तैयारी कर ली उसे तो पुलिस की हर चाल की जानकारी मिलती रही लेकिन पुलिस उसकी किलेबन्दी से अनजान रही।
पिछले कई सालों में पुलिस की असफलता के पीछे एक बड़ी वजह मुखबिरी के तंत्र का बदल जाना है।साल 2000 के बाद से पुलिस सूचना के लिए तकनीक पर निर्भर होती गई विभाग में अलग-अलग सेल काम करने लगे हैं। जो टेक्नोलॉजी के सहारे अपराधियों की सूचना हासिल करने लगे इसका खूब फायदा भी मिला लेकिन वर्क कल्चर में कमजोरी भी आती गयी पहले यह काम मैनुअल होता था यानी मुखबिरों के सहारे हर थानाध्यक्ष मुखबिरों की टोली रखता था जो गांव-गांव में फैली रहती थी। पुलिस इन्हें हर तरह से मदद करती थी, लेकिन सर्विलांस सिस्टम जैसे-जैसे फैलता गया इंसानों के सहारे मुखबिरी का तंत्र कमजोर पड़ता गया। साइबर सेल से सूचना हासिल करने से मदद तो मिलती है लेकिन कई बार बड़े धोखे भी होते हैं।पुलिस को ट्रेडिशनल तरीकों को पूरा नहीं छोड़ना चाहिए।
नाम न लिखने की शर्त पर एक रिटायर्ड आईपीएस ने मुखबिरी के पूरे नेटवर्किंग को समझाया उन्होंने बताया कि किसी अपराधी की खबर कोई शरीफ इंसान तो देगा नहीं ऐसे में अपराधियों से दोस्ती भी करनी पड़ती थी। मेरी एटा में तैनाती के समय लटूरी सिंह और छविराम गैंग सक्रिय था। जब छविराम गैंग कहीं डकैती डालता था तो हमें लटूरी सिंह के गैंग से सूचना मिलती थी।
पुलिस आज मोबाइल नेटवर्किंग करती हैं
हर अपराधी को पता है कि उसका मोबाइल सर्विलांस पर है।आखिर विकास दुबे ने JCB लगाकर सड़क क्यों रोकी ? बताने वाले ने उसे बता दिया कि आज पूरी पलटन आने वाली है। लेकिन पुलिस न तो ये पता कर पाई कि विकास दुबे को सब मालूम हो गया है और न ये कि उसकी क्या तैयारी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका मुखबिर ज्यादा मुस्तैद निकला और ये भी कि सूचना पहुंचाने के लिए उसने फोन का नहीं बल्कि खुद पहुंचकर ऐसा किया होगा टेलीफोनिक बातचीत तो पुलिस सुन ही लेती है। अगर सर्विलांस सिस्टम फेल हो जाये तो आज की तारीख में एक चोर को पकड़ना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाए।
क्रेडिट:UPKhabar
