मायावती के ठाठ निराले, मंच पर उनके सिवा कोई नहीं चढ़ सकता बिना जूते निकाले

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उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और आरएलडी के बीच हुए महागठबंधन में बसपा सुप्रीमो मायावती की अपनी अलग ही हनक है। मायावती की हनक का आलम तो यह है कि उनके साथ मंच साझा करने के लिए सभी को जूते उतारना जरूरी है सिवाय खुद के।

पिछले लोकसभा चुनाव में मायावती भले ही एक भी सीट पर जीत नहीं दर्ज कर पाई थीं, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन का वह मुख्य चेहरा बनकर उभर रही हैं। महागठबंधन की रैलियों, कार्यक्रमों से लेकर स्टेज पर कौन-कहां बैठेगा, कौन-कब बोलेगा ये सब मायावती तय कर रही हैं। एक तरह से वह पूरे गठबंधन की धुरी बन चुकी हैं। गठबंधन में यह उनकी हनक ही है कि एक कार्यक्रम में मंच साझा करने के लिए आरएलडी चीफ अजित सिंह को जूते उतारने पड़ गए।

पहले चरण के चुनाव से पहले सहारनपुर के देवबंद में हुई महागठबंधन की रैली में मायावती के प्रोटोकॉल से एक पल को आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह भी हैरान रह गए। दरअसल अजित सिंह ने जैसे ही मायावती और अखिलेश के पीछे-पीछे मंच पर चढ़ना शुरू किया, तभी बीएसपी के एक को-ऑर्डिनेटर ने अजित सिंह से जूते उतारने के लिए कह दिया। उसने आरएलडी अध्यक्ष को बताया कि मायावती को पसंद नहीं है कि मंच पर उनके सामने कोई जूते पहनकर बैठे, सिवाय खुद उनके।

2014 के चुनाव में बागपत से बीजेपी के सत्यपाल सिंह के हाथों हारने के बाद इस बार अजित सिंह मुजफ्फरनगर से चुनावी मैदान में हैं और दलित वोटों के लिए पूरी तरह मायावती पर आश्रित हैं। ऐसे में उनके सामने मायावती के ‘प्रोटोकॉल’ को मानने की मजबूरी थी। उन्होंने अपने जूते उतारे और मंच पर चढ़ गए।
मायावती जब मुख्यमंत्री थीं, तब भी वह अपने इसी अंदाज के लिए जानी जाती थीं। कोई मंत्री या अफसर उनसे तभी मिल सकता था, जब वह उनके कैंप ऑफिस के बाहर ही जूते उतारकर आया हो। उनके करीबियों का कहना है कि ‘बहनजी’ को धूल से ऐलर्जी है, इसलिए उन्होंने इसे प्रोटोकॉल बना दिया है।

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