महिला शक्ति की पुकार: सम्मान चाहिए, दया नहीं , रुदौली में आशा बहुओं ने प्रदर्शन कर भरी हुंकार
“हम नारे नहीं, नारी की शक्ति हैं-हमें अब सम्मान चाहिए, उपेक्षा नहीं।

रुदौली (अयोध्या) ! रुदौली की आशा बहुओं ने शनिवार को अपने हक और सम्मान की लड़ाई का बिगुल बजा दिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रुदौली परिसर में सैकड़ों आशा एवं आशा संगिनी कार्यकत्रियाँ एकजुट होकर धरने पर बैठीं और सरकार से मध्यप्रदेश की तर्ज पर स्थायी मानदेय व राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की।धरने में शामिल कार्यकत्रियों ने कहा कि वे पिछले 18 वर्षों से मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, परिवार नियोजन और जनस्वास्थ्य अभियानों में दिन-रात सेवा दे रही हैं, लेकिन आज भी उन्हें अस्थायी कर्मी की तरह देखा जाता है। उनके अनुसार, उन्हें न तो नियमित वेतन मिलता है और न ही किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा सुविधा।आशा संघ की प्रतिनिधि मनीषा यादव और ऊषा पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने 6 सितंबर 2023 को वहाँ की आशा बहनों के लिए ₹6000 मासिक प्रोत्साहन राशि, हर वर्ष ₹1000 की वृद्धि, संगिनी को ₹500 प्रतिदिन (अधिकतम ₹15000 मासिक) जैसी व्यवस्था लागू की है। साथ ही 60 वर्ष की आयु पर ₹1 लाख की वृद्धावस्था सहायता और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ भी दिया गया है।उन्होंने कहा कि अगर मध्यप्रदेश सरकार अपनी आशा बहनों को यह अधिकार दे सकती है, तो उत्तर प्रदेश सरकार क्यों नहीं? धरना स्थल पर “महिला शक्ति – राष्ट्र शक्ति” और “सम्मान दो, हक दो” जैसे नारे गूंजते रहे। आशाओं ने चेतावनी दी कि यदि 31 अक्टूबर 2025 तक उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो 1 नवम्बर से कार्य बहिष्कार कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।कार्यकत्रियों ने कहा कि वे स्वास्थ्य विभाग की “जमीनी फौज” हैं।बिना उनके ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की कल्पना अधूरी है। इसलिए अब समय आ गया है कि सरकार उन्हें केवल “स्वयंसेवी” न मानकर, राज्य कर्मचारी का दर्जा देकर सशक्त बनाए।

