अयोध्या ! मनरेगा में बड़ा घोटाला,तालाब खुदा नही और निकल गए पौने छः लाख

रिपोर्ट:तुषार पांडेय
अयोध्या ! मनरेगा में बड़ा घोटाला,तालाब खुदा नही और निकल गए पौने छः लाख
ग्रामीणों ने अफसरों के अलावा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत
तालाब खुदाई के नाम पर सरकारी धन बर्बादी की इबारत लिख रहे प्रधान व ब्लॉक कर्मी
मवई ब्लॉक के कुंडिरा गांव का मामला,शिकायत के बाद भी नही चेते अफसर
मवई(अयोध्या) ! तालाब खुदाई के नाम पर लाखों रुपये बंदर बांट होने का मामला सामने आया है।विकास खण्ड मवई के ग्राम कुंडिरा में बगैर तालाब खुदाई के लाखों रुपये के सरकारी धन का बंदरबांट का आरोप ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पर लगाते हुए शिकायत खण्ड विकास अधिकारी व मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की है।जिस पर अफसर जांच कर कार्यवाही करने के बजाय चुप्पी साधे हुए है।
गांव के निवासी गिरिराज किशोर तथा प्रदीप कुमार ने खण्ड विकास अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर ग्राम प्रधान कुंडिरा पर बगैर तालाब खुदाई के 585312 रुपये निकाल लेने का आरोप लगाया।ग्रामीण गिरिराज किशोर तथा प्रदीप ने बताया कि ज्ञान तारा तालाब की खुदाई में पांच लाख पचासी हजार तीन सौ बारह रुपये निकाल लिये गये।जबकि मौके पर तालाब की खुदाई भी नही हुई है।इसी प्रकार मोहिनी कुण्ड तालाब चासू तारा तालाब की बगैर खुदाई के भुगतान हो गया।ग्रामीण गिरिराज किशोर ने बताया कि शारदा सिंह के घर से गयादेई की बाग तक नाले की खुदाई दिखा कर भुगतान करा लिया गया।ग्रामीणों ने खण्ड विकास अधिकारी से जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।खण्ड विकास अधिकारी मोनिका पाठक ने बताया कि इसकी जानकारी मिली है टीम गठित कर मामले की जांच कराई जायेगी।
बड़ा सवाल ये धनराशि भला निकली कैसे ..?
मनरेगा तालाबों की खुदाई के लिए मनरेगा श्रमिकों को लगाया जाता है।और भुकतान भी श्रमिकों के खाते में आता है।रोज रिपोर्ट भी ली जाती है।ऐसे में तालाब की बिना खुदाई के इतना बड़ा पेमेंट कैसे हुआ।
डीएम द्वारा गठित ऑडिट टीम भी हुई फेल
गांवों में मनरेगा में भ्रस्टाचार पर लगाम लगाने व गड़बड़ी को पकड़ने के लिए ग्राम व ब्लॉक स्तर पर एक ऑडिट टीम का गठन किया गया है।लोगों का कहना है कि इस टीम का गठन डीएम की देख रेख में होता है।जो प्रत्येक माह व सालाना गांव में कराए गए कार्यों की ऑडिट करते है।लेकिन मवई ब्लॉक में ये ऑडिट टीम मोटी रकम लेकर फर्जी रिपोर्ट लगाकर कार्य होने की पुष्टि कर देते है।और यही हाल वार्षिक ऑडिट में भी होता है।
