अंबेडकरनगर:गंदगी और अ व्यवस्था से जूझ रहा जिला अस्पताल

जिला अस्पताल में निधन के बाद दोहरी मुसीबत से जूझ रहे परिजन
अंबेडकरनगर। जिला अस्पताल में मरीजों व तीमारदारों के लिए दुश्वारियों की कहानी कोई नई नहीं है। तमाम तरह की बदइंतजामी से मरीजों को यहां रोजाना यहां जूझते हैं। विडंबना यह है कि यह बदइंतजामी मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती। दरअसल, यहां मरीजों की मौत के बाद उनके परिवारीजनों को दोहरी मुसीबत से जूझना पड़ रहा है। एक तो शवगृह के आसपास इतनी भीषण गंदगी है कि खड़ा होना तक मुश्किल है।
आलम यह है कि पूरे अस्पताल परिसर से ही करीब एक हफ्ते से कूड़ा नहीं हटाया गया है। शवगृह के आसपास तो हालात काफी खराब हैं। वहीं, शव ले जाने के लिए वाहनों का भी टोटा है। तीन में से दो वाहन लंबे समय से खराब पड़े हैं। वाहन खराब होने की वजह भी बड़ी अजीब है। इन वाहनों का लंबे समय तक इस्तेमाल ही नहीं हुआ नतीजतन ये खराब हो गए।
जिला अस्पताल में किसी की मौत होती है तो शव घर तक ले जाने के लिए परिवारवालों को तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। करीब पांच साल पहले शासन ने अस्पताल को दो शव वाहन उपलब्ध कराए थे। चालकों की कमी व डीजल की समुचित व्यवस्था न होने से ज्यादातर समय वाहन अस्पताल परिसर में ही खड़े रहे। नतीजा यह रहा कि देखरेख के अभाव में दोनों वाहन खड़े-खड़े खराब हो गए।
मौजूदा समय में दोनों पूरी तरह निष्प्रयोज्य हो गए हैं। इनका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। अब करीब छह महीने पहले शासन से एक नया वाहन जिला अस्पताल को उपलब्ध कराया गया था। फिलहाल इसी इकलौते वाहन से शव ले जाने का काम किया जा रहा है, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है।
वैसे तो पूरे जिला अस्पताल परिसर में ही सफाई व्यवस्था बेपटरी है, लेकिन शवगृह के पास हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। करीब सप्ताहभर से अस्पताल परिसर से कूड़ा हटाया ही नहीं गया है। ऐसे में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। इससे न सिर्फ आवासीय परिसर में रहने वाले चिकित्सकों व उनके परिवारीजनों बल्कि अस्पताल में भर्ती मरीजों व उनके तीमारदारों को भी मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं।
मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। इससे संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका बढ़ गई है। शवगृह के आसपास तो भीषण गंदगी है। यहां शव रखे जाते हैं। मरने वाले के संबंधियों का यहां खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। तीमारदार संतराम व आशराम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सफाई को लेकर अस्पताल प्रशासन गंभीर नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों व उनके तीमारदारों को भुगतना पड़ता है।
जिला अस्पताल में जो वाहन मौजूद है, उससे शव को घर तक पहुंचवाया जाता है। कोशिश की जा रही है कि एक और वाहन मिल जाए। सफाई व्यवस्था को भी लगातार बेहतर करने की कोशिश है।
– डॉ. एसपी गौतम, सीएमएस
