इस बार फिर हल्दी रोग की चपेट में धान की फसल,किसान को नही सूझ रहा इस विचित्र रोग से बचाव के उपाय।

मौसम में अनियमितता के चलते हो रहा फसलों को नुकसान।
मवई(फैजाबाद) ! धान की फसल में पीला हल्दी रोग इस समय अपना पैर पसार रहा है।जिसकी चपेट में आने के बाद बस कुछ ही दिन में ही धान की बालियां सूखकर नष्ट हो रही है।पिछले वर्ष भी इस विचित्र रोग के प्रकोप से सैकड़ो किसान तबाह हो चुके है।इस रोग को लेकर कृषि वैज्ञानिकों व डॉक्टरों में भी अलग अलग मत है।कुछ लोग इसे मौसम में अनियमितता बता रहे है।तो कुछ बैज्ञानिक प्राइवेट फर्मो द्वारा तैयार किये गए बीजों में ही कमी बता रहे है।फिर हाल अभी तक इस रोग का कोई स्थाई उपचार नही है।वैज्ञानिकों का सुझाव है कि किसानों भाई की जागरूकता व समय से पहले रसायनों का स्प्रे कर फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।
बताते चले मवई ब्लाक क्षेत्र में विगत वर्ष से ही धान की फसल में पीला फुदका/हल्दी रोग का तेजी से प्रकोप फैल रहा है।नया पुरवा निवासी किसान राजेश श्रीवास्तव बताते है कि इस रोग में धान की बालियां एक पीले रंग की फंफूद की चपेट में आकर एक सप्ताह में नष्ट हो रही हैं । इस रोग की पहचान खेत में खड़े धान के पौधों को हिला कर भी किया जा सकता है।बालियां हिलाने पर पीला रंग उड़ने लगता है।बघेड़ी गांव के किसान कृष्ण मगन बताते है कि फसल में इस रोग के लगने के बाद कुछ ही दिनों में पूरी फसल को चपेट में ले लेती हैं।वही महमदवापुर के राम प्रसाद वर्मा,कोदनिया के राम नरेश ,रजनपुर के शेखर साहू बताते हैं कमर तोड़ मेहनत के बाद भी धान में फसल तैयार होने के बाद अचानक पकने की अवस्था पर बर्बादी के कगार पर पहुच जाती है।पिछले वर्ष दवाई छोड़ने के बाद भी फसल को बचाया नहीं जा सका।पहेलवानपुरवा गांव के प्रगतिशील किसान सुजीत सिंह व नवीपुर गांव के देवेंद्र सिंह ने बताया कि ये विचित्र रोग की शुरुवात विगत वर्ष से हुई थी जो इस वर्ष भी क्षेत्र के सैकड़ो किसानों को तबाह करने के लिये दस्तक दे चुकी है।उमापुर गांव के सच्चिदानंद दास बताते है कि धान की फसल को कुछ छुट्टा सांड चर गए जो बचा है उसे ये विचित्र रोग तबाह कर किसानों को भूखों मरने के लिये चुनौती दे रहा है।इन्होंने बताया उमापुर क्षेत्र के सुरेंद्र तिवारी भीमसेन तिवारी विवेक शुक्ल परमानंद दास कल्लू तिवारी सूरज शुक्ला रामकृष्ण शुक्ला हनुमान दत्त पाठक आदि लोगों के लगभग सैकड़ो एकड़ धान की फसल इस रोग से प्रभावित है।गुलाम हसन पुरवा निवासी किसान इंद्रदेव सिंह बताते है 14 बीघे धान की फसल लगाई थी जिसमे लगभग चार बीघा इस रोग से तबाह होने के कगार पर है।इस सम्बंध में कृषि रक्षा इकाई मवई के प्राविधिक सहायक उमा शंकर वर्मा ने बताया कि मौसम में अनियमितता की वजह से इस वक्त धान की फसल इस रोग की चपेट में है। दरअसल फसल पकने की अवस्था में पहुच रही हैं।हरसाल धान पकने के समय कोहरा गिरने लगता था।फसल को बचाने के लिए अगर समय से ध्यान नहीं दिया गया, तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है।फुदका यानि हल्दी रोग एक फंफूदी जनित रोग है।जिससे फसल बचाने के लिए रसायन प्रोपोकोना जोल 2 एमएल एक लीटर पानी में स्प्रे पैच में बाहर से अंदर की ओर करना चाहिए।तभी फंफूद खत्म हो सकेंगे।एक बीघे के लिए 60 एमएल दवा का किसान भाई प्रयोग करें।अगर किसी खेत में पानी भरा है, तो उसे तुरंत निकाल देना चाहिए।उन्होंने कहा कि स्प्रे करते समय मशीन का नोजल नीचे की ओर रखे ताकि तने तक दवाई पहुंच सके।रोग के शुरुआती दौर में ही बालियों को हटा देनी चाहिए।ताकि रोग आगे न बढ़ने पाए ।
[कृषि रक्षा इकाई पर दवाओं का टोटा]
मवई ब्लाक परिसर में स्थित कृषि रक्षा इकाई पर दवाओं का टोटा है।किसानों को औने पौने दामो में बाजार से दवाई खरीदनी पड़ रही हैं।मवई क्षेत्र के किसान रमेश गुप्ता सुजीत सिंह देवेंद्र सिंह राम नरेश वर्ष आदि किसानों कहना है इस विचित्र रोग से अपनी फसल को बचाने के लिये कृषि रक्षा इकाई पर कोई दवा नही है।मजबूरी में बाजारों से महंगे दवाओं को खरीदना पड़ता है और फसल को रोग से मुक्ति भी नही मिल पाती है।इन किसानों की मांग है कि उन्हें सस्ते दामों में अच्छी दवा कृषि रक्षा इकाई से उपलब्ध करवाई जाए।नही हम किसान भाई तबाह हो जाएंगे।इस सम्बंध में इकाई के प्रबिधिक सहायक उमा शंकर वर्मा ने बताया कि दवाओं की उपलब्धता के लिए उच्चधिकारियों को अवगत कराया गया है।जो भी किसान इकाई पर आते है उन्हें दवा लिख कर उचित सलाह दी जाती हैं।
[कृषि वैज्ञानिक की सलाह]
इस सम्बन्ध में नरेंद्र देव कृषि विश्व विद्यालय कुमारगंज के कृषि विशेषज्ञ डा0 वीपी0 चौधरी ने हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए बताया कि धान की बालियों हल्दी गांठ रूपी लगने वाला कंडवा रोग है।ये फंगस जनित रोग है।इस रोग से फसल को बचाने के लिये अभी किसान भाइयों को जागरूक रहने की जरूरत है।किसानों को चाहिये कि खेत मे धन की बाली निकलते समय वे प्रत्येक दिन अपनी धान की फसल देखे कि कही इस रोग की शुरुवात तो नही हुई है।शुरुवात होते ही किसान भाई एक पन्नी की सहायता से रोग ग्रसित इन बालियों को धन के खेत से तोड़ कर अलग कर उसे जमीन में मिट्टी के नीचे दबा दे।तत्पश्चात उस खेत सहित आस पास के भी धान के खेतों में करवेंदजीम नामक 150 एमएल दवा का प्रति हेक्टेयर 800 लीटर में घोलकर दिन में दो बजे बाद छिड़काव करें।तभी इस फंगस रोग से धन की फसल को बचाया जा सकता है।इन्होंने बताया कि ये रोग प्राइवेट फर्मो द्वारा तैयार की जाने वाली बीजों के अंकुरण के बाद बाली आने के समय शुरू होता है।
[भगवा रंग में रंग रही धान की बाली,किसानों के चेहरे से हट रही खुशहाली]
★मवई क्षेत्र के सैकड़ो एकड़ धान की फसल में लगा कंडवा (हल्दी रोग) किसान परेसान।
★किसानों की सूचना पर उपकृषि निदेशक पहुंचे मवई,कई गांवो में खेतों के निरीक्षण कर किसानों को बताए बचाव के उपाय।
मवई(फैजाबाद) ! मवई विकासखंड क्षेत्र के सैकड़ो किसान धान की फसल में लगे कंडवा रोग से परेसान है।किसानों की खेतो में फैले इस विचित्र रोग की सूचना पर शनिवार को फैजाबाद मंडल के उपकृषि निदेशक हरेंद्र कुमार उपाध्याय मवई क्षेत्र पहुंचे।यहां इन्होंने मवई उमापुर बाकरपुर रानीमऊ आदि गांवों का भ्रमण कर धान की फसल में लगे फाल्स स्मट(झूठा कंडुवा रोग) से प्रभावित खेतो का निरीक्षण कर किसानों को आवश्यक सुझाव दिया।चौपाल परिवार से बातचीत के दौरान उपकृषि निदेशक हरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि ये बीमारी भूमि व बीज जनित्र है।जो फंगस द्वारा होता है।ये बीमारी पायनियर शंकर धन बीजों से उगी फसलों में ही होता है।इस बीमारी से धान की बाली में हल्दी की गांठ की भांति रोग लगता है जिससे बाली पहली पीली भुरभुरा फिर काले रंग में तब्दील हो जाती है।इस रोग के नियंत्रण के लिये बायो पेस्टी साइड ड्राइकोडर्मा हाइजीनियम 2% की दर से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ में 25 से 30 किलो गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर ढेर बनाये।फिर जूट के बोरे से एक सप्ताह ढककर छाए में रखकर उस पर पानी का छीटा मारे।तत्पश्चात इसे बुवाई से पहले खेत मे डाले।तभी इस रोग पर लगाम लगाई जा सकती है।इन्होंने बताया ड्राइकोडर्मा पेस्टिसाइड सभी ब्लॉक के कृषि इकाइयों में 75%सब्सिडी के साथ उपलब्ध है।ये कवकनाशी दवा है।इन्होंने बताया जिन किसानों के खेतों में इस रोग का फैलाव हो गया है।उसे रोकने के लिये कार्बेडाजिम 50%डब्ल्यू पी दवा 200 ग्राम या कॉपर हाइड्राक्साइड 77% डब्ल्यू पी 800 ग्राम मिलाकर 200 से 250 लीटर पानी मे गोल प्रति एकड़ खेत मे छिड़काव करें।इसके फैलाव पर अंकुश लगेगा।
