14 कोसी परिक्रमा : बारिश के बीच परिक्रमार्थियों की सेवा में देवदूत बनकर डटे रहे अफसर और सेवादार
 
                 अवध की बहुप्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा में आस्था, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम
अवध की बहुप्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा में आस्था, सेवा और समर्पण का अद्भुत संगम अयोध्या। आसमान से झमाझम बारिश बरस रही थी, रास्ते कीचड़ से भर गए थे, पर श्रद्धा की राह में कोई रुकावट नहीं आई। अवध की बहुप्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा ने इस बार आस्था, सेवा और कर्तव्य का ऐसा संगम देखा जो हर किसी के हृदय को भक्ति से भर गया। भीगे वस्त्रों और कीचड़ भरे रास्तों के बीच हजारों परिक्रमार्थी “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ आगे बढ़ते रहे।यह दृश्य अयोध्या की अमर आस्था का प्रतीक बन गया।
अयोध्या। आसमान से झमाझम बारिश बरस रही थी, रास्ते कीचड़ से भर गए थे, पर श्रद्धा की राह में कोई रुकावट नहीं आई। अवध की बहुप्रसिद्ध 14 कोसी परिक्रमा ने इस बार आस्था, सेवा और कर्तव्य का ऐसा संगम देखा जो हर किसी के हृदय को भक्ति से भर गया। भीगे वस्त्रों और कीचड़ भरे रास्तों के बीच हजारों परिक्रमार्थी “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ आगे बढ़ते रहे।यह दृश्य अयोध्या की अमर आस्था का प्रतीक बन गया। इन श्रद्धालुओं के साथ कदम से कदम मिलाकर अफसर और कर्मचारी भी डटे रहे , मानो बारिश के बीच धरती पर देवदूत उतर आए हों। कोई छाता थामे ट्रैफिक संभाल रहा था, कोई भीगे कपड़ों में व्यवस्था देख रहा था, तो कोई वृद्ध श्रद्धालुओं को सहारा देकर आगे बढ़ा रहा था। प्रशासन की सजगता और मानवीयता ने हर भक्त को यह अहसास दिलाया कि सेवा भी एक प्रकार की भक्ति है।जिले के एसपी ग्रामीण स्वयं लोगों की मदद में जुटे रहे।
इन श्रद्धालुओं के साथ कदम से कदम मिलाकर अफसर और कर्मचारी भी डटे रहे , मानो बारिश के बीच धरती पर देवदूत उतर आए हों। कोई छाता थामे ट्रैफिक संभाल रहा था, कोई भीगे कपड़ों में व्यवस्था देख रहा था, तो कोई वृद्ध श्रद्धालुओं को सहारा देकर आगे बढ़ा रहा था। प्रशासन की सजगता और मानवीयता ने हर भक्त को यह अहसास दिलाया कि सेवा भी एक प्रकार की भक्ति है।जिले के एसपी ग्रामीण स्वयं लोगों की मदद में जुटे रहे। डीएम निखिल टीकाराम फुंडे और प्रशासनिक टीम पूरी रात परिक्रमा मार्ग पर सक्रिय रही। फिसलन भरे मार्गों पर खुद उतरकर उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया और हर संभव सुविधा सुनिश्चित की। पुलिस, स्वास्थ्य कर्मियों और नगर निगम की टीमें भी लगातार मौजूद रहीं।वहीं, परिक्रमा मार्ग पर भामाशाहों और स्वयंसेवकों ने सेवा कैंप लगाकर श्रद्धालुओं के लिए चाय, जल और प्रसाद की व्यवस्था की। कोई गीले वस्त्रों में लंगर चला रहा था, तो कोई पैर धोने के लिए पानी दे रहा था। बारिश में भी भीगते हुए सेवा करना उनकी भक्ति का प्रतीक बन गया।अयोध्या की इस पावन परिक्रमा में हर बूंद जैसे आशीर्वाद बनकर बरस रही थी। यह सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, कर्तव्य और सेवा का जीवंत संगम थी। ऐसे सभी परिक्रमार्थियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और सेवादारों को सादर नमन , जिन्होंने बारिश, कीचड़ और कठिनाइयों के बीच भी सनातन की मशाल को और अधिक उजाला दिया।
डीएम निखिल टीकाराम फुंडे और प्रशासनिक टीम पूरी रात परिक्रमा मार्ग पर सक्रिय रही। फिसलन भरे मार्गों पर खुद उतरकर उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया और हर संभव सुविधा सुनिश्चित की। पुलिस, स्वास्थ्य कर्मियों और नगर निगम की टीमें भी लगातार मौजूद रहीं।वहीं, परिक्रमा मार्ग पर भामाशाहों और स्वयंसेवकों ने सेवा कैंप लगाकर श्रद्धालुओं के लिए चाय, जल और प्रसाद की व्यवस्था की। कोई गीले वस्त्रों में लंगर चला रहा था, तो कोई पैर धोने के लिए पानी दे रहा था। बारिश में भी भीगते हुए सेवा करना उनकी भक्ति का प्रतीक बन गया।अयोध्या की इस पावन परिक्रमा में हर बूंद जैसे आशीर्वाद बनकर बरस रही थी। यह सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, कर्तव्य और सेवा का जीवंत संगम थी। ऐसे सभी परिक्रमार्थियों, अधिकारियों, कर्मचारियों और सेवादारों को सादर नमन , जिन्होंने बारिश, कीचड़ और कठिनाइयों के बीच भी सनातन की मशाल को और अधिक उजाला दिया।


 
                       
                       
                       
                      