फॉलोअप : प्रसव उपरांत डिलवल गांव की सरोज की मौत पर विभाग में सन्नाटा, अफसर लीपापोती में जुटे

सीएमओ ने साधी चुप्पी, विदेश से लौटे पति की मौजूदगी में हुआ अंतिम संस्कार।
फोटो : मासूम बच्ची व दो अन्य बेटियों के साथ बाबा दादी व मृतिका की फाइल फोटो
मवई (अयोध्या) — सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई में भर्ती प्रसव पीड़ित महिला सरोज कुमारी (28) की प्रसव उपरांत अधिक रक्तस्राव के चलते हुई मौत के तीसरे दिन भी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने चुप्पी साध रखी है। आरोप है कि सीएचसी की स्टाफ नर्स की लापरवाही से सरोज की जान गई, लेकिन विभाग अब पूरे मामले पर लीपापोती में जुट गया है।
शनिवार की रात मवई ब्लॉक के डिलवल गांव निवासी सरोज को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने सीएचसी मवई में भर्ती कराया। जहां उसने एक बच्ची को जन्म दिया। परिजनों के अनुसार, जन्म के बाद ही महिला को अत्यधिक ब्लीडिंग शुरू हो गई, लेकिन करीब डेढ़ घंटे तक स्टाफ नर्स ने इलाज में लापरवाही बरती। देर रात लगभग 12:30 बजे सरोज को जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां से उसे मेडिकल कॉलेज दर्शननगर भेज दिया गया। तीन घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच जूझती सरोज ने आखिरकार दम तोड़ दिया।परिजनों का आरोप है कि सीएचसी की लापरवाही ने एक परिवार को उजाड़ दिया। मृतका की सास ने कहा, “बहू की हालत सीएचसी पर ही बिगड़ गई थी, पर स्टाफ नर्स उसे फंसाए रखी। बच्चेदानी फट जाने के बाद भी इलाज की जगह उल्टे डांटती रहीं।इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. सुशील बालियान से संपर्क किया गया, तो उनका फोन किसी अन्य ने उठाया और बताया कि वे मीटिंग में हैं।अधिकारियों का यह रवैया परिजनों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा बन गया है।
दोनों बेटियों को गले लगाकर फफक पड़ा पिता
पत्नी की मौत की खबर सुनते ही सऊदी अरब में मजदूरी कर रहे पति विमलेश का दिल टूट गया। वह सोमवार की दोपहर लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचते ही सीधे गांव डिलवल पहुंचे। पत्नी का शव देखकर वह दोनों बेटियों अंशिका (8) और अंसोनी (4) को सीने से लगाकर फफक पड़ा।घर के दरवाजे पर मृतिका की लाश के पास बैठी दादी की आंखें भी रो-रोकर पथरा सी गईं। पूरे गांव में मातम का माहौल छाया रहा। सायं करीब चार बजे गमगीन माहौल में सरोज का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
घटना के बाद मृतिका की सास ने बताई संवेदनहीनता की दास्तां,सुने विस्तार से
बॉक्स: विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
सरोज की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने अब तक न तो किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई की और न ही जांच शुरू होने की पुष्टि की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव सेवाओं की लापरवाही आम बात बन चुकी है, और अफसर केवल फाइलों में जवाबदेही निभा रहे हैं।
