यूपी : यमुना की लहरों में डूब गई चार मासूम जिंदगियां , बेवफाई से टूटा पिता, मां की ममता रही खामोश

“उत्तर प्रदेश के शामली के यह कहानी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि इंसानियत के उस पहलू का आईना है, जहां रिश्तों की नींव टूटने पर पूरा संसार बिखर जाता है।”
शामली (उत्तर प्रदेश) : यमुना का पानी इस बार सिर्फ लहरें नहीं, बल्कि एक पिता की टूटी हुई उम्मीदें और चार मासूमों के सपने बहा ले गया। कैराना कस्बे में मोहम्मद मुस्तकीम सलमान (38) ने अपनी पत्नी की बेवफाई से आहत होकर शुक्रवार को अपने चार बच्चों के साथ यमुना नदी में छलांग लगा दी। रविवार को सलमान और उसकी 12 वर्षीय बेटी महक के शव जब पानी से बाहर निकाले गए, तो वहां मौजूद हर आंख नम थी।पानी में तीन दिन तक रहने के कारण शव फूल चुके थे, आंखें और जीभ बाहर निकली हुई थीं।दृश्य इतना दर्दनाक था कि देखने वालों के दिल कांप उठे। परिजनों की चीखें पूरे इलाके में गूंज उठीं, लेकिन सबसे बड़ा दर्द ये था कि सलमान की पत्नी खुशनुमा, जिसने कभी इन बच्चों को गोद में खिलाया था, वह अपने पति और बेटी के शव मिलने के बाद भी मौके पर नहीं पहुंची।उत्तर प्रदेश के शामली के यह कहानी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि इंसानियत के उस पहलू का आईना है, जहां रिश्तों की नींव टूटने पर पूरा संसार बिखर जाता है।यमुना की लहरें अब भी शायद उसी पिता की पुकार दोहरा रही हैं
“मां” शब्द भी रो पड़ा
कुदरत ने “मां” शब्द को ममता और करुणा का प्रतीक बनाया है। मां वो होती है, जो बच्चे की हल्की सी सिसकी पर भी बेचैन हो उठती है।मगर इस घटना ने उस पवित्र शब्द को भी जैसे खामोश कर दिया।जिस महिला की गोद में ये बच्चे पले थे, वही आज अपने बच्चों की लाशें देखने तक नहीं आई।गांव के लोगों की आंखों में आंसू थे और होठों पर बस एक सवाल..। “क्या अब ममता भी इतनी कठोर हो गई है कि खून के रिश्ते भी उसमें आवाज न उठा सकें..?
बेवफाई ने तोड़ा सलमान को
घटना की शुरुआत बीते बृहस्पतिवार से हुई, जब सलमान और खुशनुमा के बीच झगड़ा हुआ।खुशनुमा अपने प्रेमी के साथ घर छोड़कर चली गई।पत्नी की बेवफाई से टूटा सलमान भीतर से बिखर गया।शुक्रवार दोपहर उसने अपने चार बच्चों के साथ यमुना नदी का रुख किया और फिर हमेशा के लिए लहरों में खो गया।कूदने से पहले उसने तीन वीडियो बनाकर अपनी बहन गुलिस्ता को भेजे।उन वीडियो में सलमान की आंखों से आंसू बह रहे थे, आवाज भर्रा रही थी।वह बार-बार कह रहा था, कि “मेरी मौत का जिम्मेदार खुशनुमा और उसका प्रेमी है।”वीडियो देखने के बाद गांव का कोई भी व्यक्ति अपने आंसू रोक नहीं पाया।हर कोई इस सोच में डूब गया कि आखिर एक आदमी को इतना मजबूर क्या कर देता है कि वह अपने जिगर के टुकड़ों के साथ मौत को गले लगा ले।
यमुना बनी गवाह, समाज हुआ मौन
शनिवार सुबह जब परिजनों को खबर मिली कि सलमान ने पुल से कूदकर आत्महत्या कर ली, तो पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया।दो दिन तक गोताखोर तलाश करते रहे और रविवार को आखिरकार सलमान और उसकी बेटी महक के शव बरामद हुए।बाकी तीन मासूमों की तलाश अब भी जारी है।जिले के इतिहास में यह शायद पहली बार हुआ जब एक पिता ने अपने बच्चों के साथ यमुना की लहरों में डूबकर अपनी कहानी खत्म कर दी।पुलिस भी इस घटना को शब्दों में बयां नहीं कर पा रही।
जब रिश्ते मर जाएं तो समाज भी रोता है
इस दर्दनाक घटना ने पूरे जिले को झकझोर दिया है।हर कोई यही कह रहा है। “मां तो अपने बच्चों को बचाने के लिए जान देती है, लेकिन यहां तो मां ने ही चुप्पी ओढ़ ली।”सलमान का घर अब सन्नाटा बोल रहा है।बच्चों की किताबें, टूटे खिलौने और दीवारों पर टंगे पारिवारिक फोटो अब ममता के उस अधूरे किस्से की याद दिलाते हैं, जिसे किसी ने खत्म कर दिया।
“मैंने सब कुछ खो दिया, पर शायद दुनिया अब भी नहीं समझेगी कि बेवफाई सिर्फ दिल नहीं, ज़िंदगी भी तोड़ देती है।यमुना की लहरें अब भी शायद उसी पिता की पुकार दोहरा रही हैं।”यह कहानी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि इंसानियत के उस पहलू का आईना है, जहां रिश्तों की नींव टूटने पर पूरा संसार बिखर जाता है।”
लेखक-यतीन्द्र पांडेय
