अयोध्या : वाहन सुविधा ना होने से गांव गांव पैदल भ्रमण कर रहे है कोरोना योद्धा डॉ रामनाथ

बीकापुर(अयोध्या) ! कोरोना संकट काल के दौरान वाहन सुविधा ना होने के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौरे बाजार के प्रभारी डॉ रामनाथ गांव गांव पैदल जा कर मानवता की सेवा करके दूसरों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं। कोरोना संकट के दौरान पिछले करीब 3 महीने से संकट की इस घड़ी में अकेले गांव गांव पैदल जाकर अपने मानवी फर्ज का निर्वाहन कर रहे हैं। डॉ रामनाथ की ड्यूटी कोरोना संकट शुरू होने के साथ फील्ड में लगा दी गई। और उन्हें विकासखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में आ रहे विदेश में रह रहे लोगों और दूसरे प्रांतों से घर वापस आए प्रवासियों की देख रेख और मॉनिटरिंग करने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन कोई वाहन अथवा संसाधन मुहैया नहीं कराया गया। डॉ रामनाथ बाइक चलाना नहीं जानते हैं। उनके पास अपना कोई वाहन भी नहीं है। फिर भी इनके द्वारा पूरे जज्बे और जिम्मेदारी के साथ अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया जा रहा है। फील्ड में विकास खंड क्षेत्र के विभिन्न गांव में 5 से 10 किलोमीटर तक अकेले धूप में पैदल चलकर और कभी-कभी अपने एक सहयोगी के साथ उसकी साइकिल पर पीछे बैठकर गांव गांव जाकर इन्होंने विदेश और दूसरे प्रांतों से घर वापस आए सैकड़ों प्रवासियों की मॉनिटरिंग करके उन्हें होम क्वारंटाइन किया। और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक किया गया। ड्यूटी के दौरान वह कभी भोजन, नाश्ता, वाहन और अन्य संसाधन की परवाह नहीं करते। और कागजों का बंडल एक प्लास्टिक थैले में रखकर हाथ में लेकर पैदल निकल पड़ते हैं। पूरी संवेदनशीलता से ड्यूटी पूरी करने के बाद शाम को सीएचसी कंट्रोल रूम में रिपोर्ट देने के बाद किसी का सहयोग और लिफ्ट लेकर बीकापुर से करीब 12 किलोमीटर दूर अपने आवास चौरे बाजार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाते हैं। फील्ड में जाने के लिए डॉ रामनाथ कभी-कभी सीएचसी बीकापुर में ठेके पर तैनात एक वार्ड बॉय रामजनम का सहयोग ले लेते हैं। और रामजनम की साइकिल पर पीछे बैठकर फील्ड में अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ते हैं। अस्पताल के अन्य स्वास्थ्य कर्मी और क्षेत्र के लोग डॉ रामनाथ के जज्बे और हौसले को सलाम करते हैं। उनकी मानवता के समर्पित भावना की सराहना करते हैं। सीएचसी के स्वास्थ्य कर्मी राम सूरत, अमरनाथ तिवारी, फार्मासिस्ट कनिक राम चौधरी, गिरधारी लाल, शिवम पांडे सहित अन्य स्टाफ के लोग सहित अन्य तमाम लोग उनकी हिम्मत की दाद देते हैं। लाक डाउन के दौरान कुछ दिन उनकी ड्यूटी चौरे बाजार सुल्तानपुर बॉर्डर पर धर्मल स्क्रीनिंग के लिए लगा दी गई थी। उस दौरान उन्हें कुछ सुकून मिला था। लेकिन अब फिर बनाए गए आश्रय स्थलों और फील्ड में पैदल और अपने सहयोगी के साथ साइकिल से चलकर अपने दायित्वों का निर्वाहन कर रहे हैं। कोरोना योद्धा डॉक्टर रामनाथ ने बताया कि फील्ड में जाने के दौरान उन्हें अस्पताल से सैनिटाइजर भी हमेशा नहीं मिल पाता है। लेकिन वह मेडिकल स्टोर की दुकानों पर अपने पैसे से सेनेटाइजर और मास्क खरीद लेते हैं। क्योंकि ड्यूटी के साथ खुद और परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी देखना है। बताया कि वह बाइक चलाना नहीं जानते हैं। और साइकिल भी ठीक से नहीं चला पाते हैं। जिससे वाहन सुविधा ना होने से फील्ड में पैदल निकलना पड़ता है। सवारी वाहन न चलने से भी समस्या हुई है। ड्यूटी के दौरान विकासखंड क्षेत्र के कई गांव में 5 से 10 किलोमीटर तक जाना पड़ता है। कभी-कभी सीएचसी में ठेके पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी रामजनम के साथ उनकी साइकिल का सहारा मिल जाता है। उस दिन कुछ आसानी हो जाती है। चिकित्सक ने बताया कि पहले वह सुबह उठकर कई किलोमीटर पैदल चलते थे। जिससे आज ड्यूटी के दौरान उन्हें पैदल चलने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। उनका कहना है कि संसाधन ना होने के बावजूद फर्ज और ड्यूटी को निभाना ही है। पीड़ितों की स्वास्थ्य सेवा करके मन को काफी शांति मिलती है।
